बाबा रामदेव को कोविड-19 महामारी के बीच एलोपैथी और इसकी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को बदनाम करने की कोशिश करने वाले विज्ञापनों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई और केंद्र से उन्हें रोकने के लिए कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा वह डॉक्टरों पर इस तरह आरोप लगा रहे हैं, जैसे कि वे हत्यारे हैं ।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार के साथ प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ और ने कहा बाबा रामदेव एलोपैथी डॉक्टरों पर आरोप क्यों लगा रहे हैं? उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया। यह अच्छा है। लेकिन उन्हें अन्य सिस्टम की आलोचना नहीं करनी चाहिए।
एलोपैथी के खिलाफ मीडिया में रामदेव के विज्ञापन की जानकारी प्राप्त होने पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा इसकी क्या गारंटी है कि आयुर्वेद सभी बीमारियों को ठीक कर देगा? प्रधान न्यायाधीश ने अन्य चिकित्सा प्रणालियों का उपहास करने के लिए रामदेव की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और कहा कि वह डॉक्टरों पर तो इस तरह से आरोप लगा रहे हैं, जैसे कि वे हत्यारे हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के वकील ने उन विज्ञापनों की ओर इशारा किया, जहां रामदेव ने एलोपैथी के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए थे। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अभ्यावेदन दिया गया था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। इसके बाद विज्ञापनों का हवाला देते हुए, वकील ने कहा कि वे कहते हैं कि डॉक्टर एलोपैथी (से जुड़ी दवा) ले रहे हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने कोविड के कारण जान गंवा दी।
आईएमए का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील प्रभास बजाज ने कहा अगर यह बेरोकटोक चलता रहा तो यह हमारे लिए गंभीर पूर्वाग्रह का कारण बनेगा।प्रधान न्यायाधीश ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे पतंजलि द्वारा भ्रामक विज्ञापनों पर संज्ञान लें।
उन्होंने जोर दिया कि रामदेव को एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का दुरुपयोग करते समय संयम बरतना चाहिए।पीठ ने मेहता से पूछा कि रामदेव और पतंजलि मीडिया में विज्ञापनों के जरिए यह आरोप कैसे लगा सकते हैं कि एलोपैथिक डॉक्टर हत्यारे हैं? पीठ ने कहा यह क्या है? बेहतर होगा कि केंद्र उन्हें रोके।
दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने आईएमए द्वारा कोविड-19 टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ एक बदनाम करने वाला अभियान का आरोप लगाने वाली याचिका पर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी।