तकनीकी कॉलेजों को वार्षिक मंजूरी देने के लिए निर्धारित समय का पालन नहीं करने के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) को फटकार लगाते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज कहा, ‘हम मिसाल देने योग्य कठोरता दिखा सकते हैं। न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, ‘हमारे फैसले के साथ छेड़छाड़ नहीं करें। हम यहां ऐसे ही नहीं बैठे हैं।
पीठ ने इसके साथ ही समूचे उत्तर प्रदेश में 612 इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक कॉलेजों को मंजूरी देने की तारीख 10 जून तक बढ़ा दी।अदालत तब नाराज हुई जब डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वकील ने एआईसीटीआई द्वारा समय-सीमा का पालन नहीं किए जाने का उल्लेख किया, जिसे शीर्ष अदालत ने अपने 2012 के फैसले में निर्धारित किया था। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश में तकनीकी कालेजों की नोडल यूनिवर्सिटी है।
पीठ ने कहा, ‘जहां तक कानून का सवाल है तो हम अंतिम हैं। हम आपको अवमानना का नोटिस जारी करेंगे। यह सभी संबद्ध लोगों को स्पष्ट होना चाहिए। हम अपने आदेश को कैसे लागू कराया जाता है इसे जानते हैं।’ पीठ ने कहा, ‘अपने आदेश का पालन नहीं किए जाने पर जवाबदेही तय करने के लिए हम मिसाल देने योग्य निर्ममता प्रदर्शित कर सकते हैं।’
पीठ ने कहा, ‘राज्य में ऐसा कोई भी कॉलेज नहीं है जहां 612 इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्रों को स्थानांतरित किया जा सकता है। देखिए, आपने कॉलेजों और छात्रों के साथ क्या किया है।’ पीठ ने एआईसीटीई से फैसले का पालन नहीं करने और उत्तर प्रदेश में 612 इंजीनियरिंग कॉलेजों को अपनी मंजूरी देने की सूचना देने में विलंब का तर्कसंगत जवाब एक सप्ताह के भीतर मांगा है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह तकनीकी शिक्षा नियामक निकाय पर चूक और देरी के लिए जुर्माना लगा सकती है। कॉलेजों को मंजूरी देने के लिए समय बढ़ाते हुए अदालत ने कहा कि यह एक बार का अपवाद है और इसे मिसाल नहीं माना जा सकता है। एआईसीटीई को विश्वविद्यालय को 10 अप्रैल तक मंजूरी पा चुके कॉलेजों की सूची देनी थी, जिसे आखिरकार सात मई को किया गया।