उल्कापिंड के चलते महाविनाश की आशंका में वैज्ञानिकों की उड़ी नींद

दुनिया के सामने नई मुसीबत अंतरिक्ष से आ रही है. इस आसमानी आफत ने पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों को परेशानी में डाल दिया है. खतरा इतना बड़ा है कि पूरी पृथ्वी पर तबाही ला सकता है. कई देशों को धरती के नक्शे से गायब कर सकता है.

बड़े-बड़े वैज्ञानिकों की नींद उड़ी है. सुपरपावर अमेरिका तक घबराया हुआ है क्योंकि नासा ने पुष्टि की है कि एक विशाल एस्टेरॉइड एक बार फिर से धरती के बेहद करीब से गुज़रने वाला है. 

12 घंटों से भी कम का समय बचा है जब ये उल्कापिंड पृथ्वी के करीब से होकर गुजरेगा. यह उल्कापिंड माउंट एवरेस्ट जितना विशाल हो सकता है.

नासा ने दावा किया है कि इससे हमारी दुनिया को कोई खतरा नहीं है लेकिन अगर उल्कापिंड अपनी दिशा में थोड़ा भी भटक गया तो पृथ्वी पर बहुत बड़ा संकट आ सकता है.

पूरी दुनिया की निगाह उल्कापिंड की चाल पर है. नासा की मानें तो फिलहाल चिंता की बात नहीं है लेकिन कई वैज्ञानिक इसके बाद भी आशंका जता रहे हैं कि अगर उल्कापिंड के रास्ते में कुछ सेकेंड का भी अंतर हुआ तो ये एस्टेरॉइड धरती से टकरा सकता है.

नासा ने इस एस्टेरॉइड की जो तस्वीर जारी की है, उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे किसी ने मास्क पहन रखा है. भले ही नासा ये दावा करे कि इस एस्टेरॉइड से कोई खतरा नहीं है लेकिन फिर भी वैज्ञानिक के मन में इस उल्कापिंड को लेकर चिंता जरूर है.

नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ स्टडीज के मुताबिक, ये उल्कापिंड 31,319 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा है. ये 29 अप्रैल की सुबह पृथ्वी से करीब 62.90 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा.

अंतरिक्ष विज्ञान के नजरिये से ये दूरी बहुत ज्यादा नहीं है. इसकी दिशा में आया थोड़ा भी परिवर्तन पृथ्वी पर बहुत बड़ी तबाही ला सकता है. इस एस्टेरॉयड को नासा ने सबसे पहले 1998 में देखा था और लगभग 22 साल बाद ये पृथ्वी के करीब से गुजर रहा है.

जब से नासा ने ये जानकारी दी है, कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. लोगों की बेचैनी बढ़ रही है. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने उल्कापिंड से किसी भी तरह के खतरे से साफ इंकार किया है. 

वैज्ञानिकों के मुताबिक इस समय उल्कापिंड, धरती से जिस दूरी और दिशा में आगे बढ़ रहा है, उससे हमें कोई खतरा नहीं है. ऐसे उल्कापिंड की हर सौ साल में धरती से टकराने की 50 हजार संभावनाएं होती हैं लेकिन ये किसी न किसी तरीके से धरती के पास से होकर गुजर जाता है. छोटे उल्कापिंड कुछ मीटर के होते हैं.

ये आमौतर पर वायुमंडल में आते ही जल जाते हैं. अंतरिक्ष विज्ञान के नजरिये से इतने बड़े उल्कापिंड का पृथ्वी के पास से गुज़रना एक महत्वपूर्ण घटना है. यही वजह है कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इस घटना पर करीब से नजर बनाए हुए हैं. 

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