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किसान आंदोलन को लेकर राजस्थान के करौली में आज महापंचायत को संबोधित करेंगे राकेश टिकैत

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। इस बीच आज फिर किसान आंदोलन का आगे बढ़ाने के लिए रणनीति पर चर्चा करने वाले हैं।

वहीं किसान नेता राकेश टिकैत राजस्थान के करौली में महापंचायत को संबोधित करेंगे। साथ ही भारतीय किसान यूनियन यूपी के बाराबंकी और बस्ती में भी किसान महापंचायत करेगी। महापंचायत में नरेश टिकैत भी शामिल होंगे।

इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली में आंदोलन के 3 महीने पूरे होने पर युवा किसान दिवस मनाने का ऐलान किया है।26 फरवरी को किसान युवा किसान दिवस मनाया जाएगे। रविदास जयंती और शहीद चंद्रशेखर आजाद के शहादत दिवस पर 27 फरवरी को किसान मजदूर किसान एकता दिवस मनाएंगे।

वहीं 28 फरवरी को किसान संगठनों की अहम बैठक होने वाली है, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी।इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के एकबार फिर बातचीत का न्योता दिया है। उन्होंने कहा कि भीड़ एकत्र करने से कानून नहीं बदलते।

उन्होंने कहा कि किसान यूनियन बताएं कि इन कानूनों में किसानों के खिलाफ क्या है और सरकार उसमें संशोधन करने को तैयार हैं। वहीं किसान संगठनों का कहना है कि नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का सरकार का मौजूदा प्रस्ताव उन्हें स्वीकार नहीं है।

आपको बता दें कि खुद प्रधानमंत्री मोदी किसानों से कृषि कानून पर चर्चा और इसमें बदलाव की बात कह चुके हैं। उन्होंने कहा कि पुरानी मंडियों पर भी कोई पाबंदी नहीं है। इतना ही नहीं इस बजट में इन मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए और बजट की व्यवस्था की गई है।

प्रधानमंत्री का कहना है कि कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ। ये सच्चाई है। इतना ही नहीं ये कानून बनने के बाद एमएसपी पर खरीद भी बढ़ी है। उन्होंने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की आइये, बातचीत की टेबल पर बैठकर चर्चा करें और समाधान निकालें।

कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को दूर करने को लेकर किसानों की सरकार के बीच अबतक 12 दौर की वार्ता हो चुकी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलकर पाया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और इन कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हैं।

गौरतलब है कि पिछले 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील है।

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