ढोंगी बाबा वीरेंद्र देव के आश्रम में पुलिस ने मारा छापा

स्पिरिचुअल यूनिवर्सिटी नाम की संस्था में हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त सीबीआई टीम ने गुरुवार को कार्रवाई कर बड़ा खुलासा किया। टीम ने उत्तर दिल्ली के रोहिणी इलाके स्थित बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम में 9 घंटे तक कार्रवाई कर 41 लड़कियों को छुड़ाया। इनमें से से ज्यादातर लड़कियां नाबालिग थीं। 3 तो रिटायर्ड इंस्पेक्टर की बेटियां थीं।

इससे पहले जिस लड़की ने बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के कारनामों का खुलासा किया था, उसका भाई सीबीआई इंस्पेक्टर है।यूनिवर्सिटी में दो आश्रम हैं। एक मुख्य और दूसरा वीवीआईपी आश्रम। वीवीआईपी आश्रम को हाल ही में बनाया गया है। इसे मुख्य आश्रम से जोड़ने के लिए सुरंग बनाई गई है।

यहीं से वीवीआईपी आश्रम में सुख-सुविधाओं के सामान पहुंचाए जाते हैं। इनमें लड़कियां भी शामिल हैं।वीरेंद्र देव ने हर उम्र की लड़कियों के लिए काम तय रखा था। आश्रम की तीसरी मंजिल पर वह खुद रहता था।वहां 28 साल तक की लड़कियां ही रहती थीं। वीरेंद्र इन लड़कियों का हैरेसमेंट करता था।28 से 40 साल तक की महिलाओं को चौथी मंजिल पर रखा जाता था।

उनका काम कपड़े और बर्तन धोना, आश्रम की सफाई करना, खाना बनाना, और चावल-गेहूं की सफाई करना था। 40 साल से अधिक वाली शिक्षा देती थीं।वीरेंद्र देव लग्जरी कारों का शौकीन था। उसके काफिला में मर्सिडीज-ऑडी समेत 9 लग्जरी कारें हैं। इनमें ज्यादातर काले रंग की हैं। रेड के दौरान स्पिरिचुअल यूनिवर्सिटी के बेसमेंट में बनी पार्किंग में चार कारें थीं।

स्थानीय लोगों ने वीरेंद्र को कभी नहीं देखा है। उनका कहना है कि वह हमेशा रात में आता था। उसके आने की जानकारी अगले दिन कारों के काफिला से ही मिलती थी। वह जब आश्रम आता तो वहां चहल-पहल रहती थी।मुख्य आश्रम के कर्मचारी की मानें तो दिल्ली, पंजाब, यूपी, हरियाणा और राजस्थान में वीरेंद्र देव का आश्रम है।

इसका हेडक्वार्टर राजस्थान के माउंट आबू में है, जहां वह सबसे ज्यादा रहता था।नेपाल में भी वीरेंद्र का आश्रम है। आश्रम में मौजूद लोगों के लिए साल में तीन बार अनाज आता था।स्थानीय लोगों के मुताबिक, उन्हें यहां गलत काम होने का शक पहली बार तब हुआ, जब आश्रम की छत से कूद कर युवती ने खुदकुशी कर ली।

कुछ दिन बाद एक और युवती ने जान देने की कोशिश की, लेकिन वह बच गई। दोनों घटनाओं के बाद यूनिवर्सिटी को जेल की तरह बदल दिया गया था। यहां 24 घंटे कड़ा पहरा रहता था।महिला आयोग व चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के ज्वाइंट रेस्क्यू ऑपरेशन में आश्रम में मौजूद 170 से ज्यादा महिला और लड़कियों में से 41 नाबालिग लड़कियों को निकालकर शेल्टर होम पहुंचाया गया।

मीडिया और लोगों की नजरों से बचाने के लिए पहले पुलिस माइक से एलान करती रही कि इस इलाके में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर पूरी तरह रोक है, लेकिन विजय विहार की इस गली में कई दर्जन कैमरे लगातार आश्रम के गेट पर दिनभर नजर जमाए थे। फिर लड़कियों को बाहर निकालने के लिए आश्रम के दरवाजे से बस के बीच एक ह्यूमन चेन बनाकर चादर और दरियों की एक दीवार बना दी गई, जिसके पीछे से छिपाकर सभी लड़कियों को बस में चढ़ाया गया।

महिला आयोग की प्रेसिडेंट स्वाति मालीवाल ने कहा कि आज रेड के दौरान दवाओं का एक जखीरा मिला है।चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने एक-एक बच्ची का इंटरव्यू किया। उनकी मेडिकल जांच हुई। सब डरी हुई थीं, कई तो एक शब्द भी नहीं बोल रही थीं। कुछ बेहद धीमी आवाज में बोली कि वो वहां ज्ञान पाने और मोक्ष के लिए आई हैं।

तेलंगाना के रहने वाले एक विक्टिम के पिता ने बताया कि मेरी बेटी अमेरिका में पीएचडी कर रही थी।जुलाई, 2015 में अचानक उसका फोन आया कि वह दिल्ली के एक आश्रम में आ गई है। मैं उससे मिलने दिल्ली आया।विजय विहार के स्पिरिचुअल यूनिवर्सिटी में उससे मिलने के लिए मुझे 4 घंटे तक बिठाए रखा गया। फिर मुझे अकेले ऊपर ले जाया गया, वहां मेरे सामने बेटी आई बिल्कुल बुत की तरह। न कोई इमोशन, न कोई बातचीत।

मैंने पूछा तो उसने कहा, वह यहां ठीक है, खुश है। इसके बाद मैं एक-दो बार और आया, मुझे चार-चार घंटे नीचे बिठाए रखा जाता।4 विक्टम्स की मां पूनम (बदला नाम) ने बताया कि मेरी तो चार बेटियां बाबा के चंगुल में हैं, उनमें एक नाबालिग है। यह कोई आश्रम नहीं कैदखाना है, जहां लड़कियों को ब्रेनवॉश करके रखा जाता है। उनसे कहा जाता है कि वे अगर खुद को बाबा को समर्पित कर देंगी तो उनको मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी।

लड़कियों को दूध में कोई ऐसी दवा दी जाती है कि उसे पीने के बाद कोई सुधबुध नहीं रहती, शरीर में बेचैनी बढ़ जाती है।बाबा चार-चार घंटे लड़कियों से मालिश करवाता है। प्रसाद देने के नाम पर वह लड़कियों से गलत काम करता है। समझ नहीं आ रहा कि मैंने बेटियों को वहां कैसे भेज दिया।

पूर्व सेविका रेणु बाला (बदला नाम) ने बताया कि पहले इस आश्रम का नाम आध्यात्मिक स्पिरिचुअल यूनिवर्सिटी था और यह माउंट आबू के ब्रह्मकुमारी से जुड़ा था, लेकिन बाद में दीक्षित बाबा उससे अलग हो गया।

बाबा की मदद के लिए यहां इसकी भरोसेमंद शिष्याओं की एक टीम है, चार चेले भी हैं।ये बाबा के इशारे पर बाबा की बात न मानने वाली लड़कियों को न सिर्फ मारते- पीटते थे, बल्कि उनके साथ गंदा काम करते है। जो लड़कियां आश्रम में मर जाती थीं, उन्हें रात 12 बजे बाद कहीं ले जाकर जला दिया जाता था और फिर जमीन में दफना देते थे।

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