कृष्ण जन्मभूमि का सर्वे करके 4 महीने के भीतर फैसला करने का आदेश

निचली अदालत को कृष्ण जन्मभूमि के सर्वे से संबंधित याचिका पर इलाहबाद हाई कोर्ट ने चार महीने के भीतर सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है।निचली अदालत में दायर याचिका में कोर्ट कमिश्नर नियुक्तकर कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह परिसर का सर्वे और वीडियोग्राफी कराने की मांग की गई है। यह मामला लंबे समय से निचली अदालत में लंबित है।

न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने भगवान श्री कृष्ण विराजमान और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया और इस याचिका को निस्तारित किया।याचिकाकर्ता ने अदालत से मथुरा में 2021 से लंबित मूल वाद (श्री कृष्ण विराजमान एवं अन्य बनाम यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड एवं अन्य) में 13 मई, 2022 के आवेदन पर निर्णय करने का निर्देश सिविल जज (सीनियर डिवीजन), मथुरा को देने की गुहार लगाई थी।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि चूंकि यह आवेदन विचाराधीन है, याचिकाकर्ता को अपूर्णीय क्षति हो रही है। इस पर अदालत ने कहा इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए और इस मुद्दे के गुण-दोष पर बिना कोई राय व्यक्त किए निचली अदालत को 13 मई, 2022 के आवेदन पर चार महीने के भीतर कानून के मुताबिक विचार कर निर्णय करने का निर्देश जारी करने के साथ मौजूदा याचिका को निस्तारित किया जाता है।

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मनीष यादव ने दावा किया कि हाईकोर्ट ने वीडियोग्राफी सर्वे के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक सर्वे के दौरान वादी और प्रतिवादी भी मौजूद रहेंगे। हाईकोर्ट के इस फैसले की हिंदू पक्ष ने सराहना की है, जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

इससे पहले शाही मस्जिद ईदगाह की इंतेजामिया कमेटी ने मथुरा की एक स्थानीय अदालत में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह विवाद से जुड़े एक मामले की सुनवाई पर सवाल उठाया था। बचाव पक्ष के वकील नीरज शर्मा ने कहा कि यह मुकदमा चलने योग्य नहीं है, क्योंकि यह पूजा स्थल अधिनियम द्वारा निषिद्ध है।

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