ओबीसी में समान आरक्षण के लिए होगा बटवारा

आरक्षण का हक पिछड़े तबके में सभी को समान रूप से मिल सके, यह सुनिश्चित करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ओबीसी क्लास को उनके ‘पिछड़ेपन’ के आधार पर तीन ग्रुप्स में बांटेगी?

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की केंद्रीय सूची में पिछड़े वर्ग की तीन ग्रुप में कैटिगरी बनाने के लिए नैशनल कमिशन फॉर बैकवर्ड क्लासेस (एनसीबीसी) को सरकार की सहमति का इंतजार है, जिससे 27 पर्सेंट के आरक्षण में सभी वर्गों के अंश को सीमित किया जा सके।

उच्चस्तरीय सूत्रों ने बताया कि एनसीबीसी और सामाजिक न्याय मंत्रालय के बीच इस मामले पर हो रही बातचीत बेहद नाजुक दौर में पहुंच गई है। नैशनल पैनल इस पहल का समर्थन यह सुनिश्चित करने के लिए कर रहा है कि जिन ओबीसी वर्ग की अच्छी आर्थिक स्थिति है, जरूरतमंदों के अधिकार और सुवधाओं पर उनका एकाधिकार नहीं होना चाहिए।

कमिशन ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में उल्लेख किया, ‘जब केंद्रीय सूची में ओबीसी को लेकर किसी तरह का वर्गीकरण नहीं है, इस श्रेणी में सबसे अडवांस वर्ग ही उपलब्ध फायदों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा कर रहा है, जो ओबीसी में सबसे ज्यादा जरूरतमंद वर्ग के नुकसान की वजह बनता है।’

ऐसी शिकायतें मिलीं जिनमें पाया गया कि ‘बैकवर्ड के बीच में फॉरवर्ड’ 27 पर्सेंट के मंडल कोटा पर एकाधिकार जमाए हुए हैं क्योंकि ‘बैकवर्ड के बीच में बैकवर्ड’ निचले स्तर की शिक्षा और आर्थिक स्थिति की वजह से उनका मुकाबला करने में सक्षम है ही नहीं। इसी के बाद इस नई पहल के विचार ने जन्म लिया।

सुधार के तौर पर, ओबीसी को सब-ग्रुप्स में बांटा जाएगा, सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति वाले समान जातियों को एक साथ लाया जाएगा। सब-ग्रुप को बांटा जाने वाला हिस्सा आबादी के हिसाब से तय किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ‘बैकवर्ड के बीच मौजूद फॉरवर्ड’ सिर्फ 27 पर्सेंट कोटे के लिए सिर्फ मुकाबला ही कर सकें, पूरे कोटे पर एकाधिकार नहीं।

ओबीसी में मजबूत स्थिति रखने वाली यादव/कुर्मी जातियों की तरफ से हालांकि इसपर नाराजगी जताई गई है, क्योंकि यह कदम निश्चित ही उनकी कोटा सुविधा को सीमित करेगा। सब-कैटिगराइजेशन की मांग उन कमजोर जातियों की तरफ से की जाती रही है जिन्होंने अपने हिस्से को हड़पने का आरोप लगाया है।

देश में इस साल बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके 2 साल बाद यूपी विधानसभा चुनाव भी होना है। इन दोनों ही राज्यों में मंडल की मजबूत जमीनें हैं।

खुद को ओबीसी के तौर पर प्रस्तुत करने वाले पीएम नरेंद्र मोदी को चुनाव करना होगा कि वह यथास्थिति बनाए रखते हैं या अति पिछड़ों को यादव-कुर्मी जातियों के खिलाफ खड़ा करते हैं। यादव और कुर्मी जातियों के प्रतिनिधि बीजेपी के प्रतिद्विंदी लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और मुलायम सिंह यादव माने जाते हैं।

केंद्र के साथ हाल ही के संवाद में, एनसीबीसी ने सरकार से ‘पॉलिसी डिसिजन’ लेने को कहा है। इसमें यह तय किया जाएगा कि क्या सरकार ओबीसी के इस सब-कैटिगराइजेशन पर आगे बढ़ना चाहती है और साथ ही अपनी ‘कार्यप्रणाली’ पर सरकार की सहमति की इच्छा भी जताई है। एनबीसीसी सरकार से फंडिग भी चाहती है जिससे वह आईसीएसएसआर की तरह एक बॉडी बनाकर बैकवर्ड क्लास की राज्यवार स्थिति जानने के लिए स्टडी करा सके और सब-ग्रुप्स पर फैसला ले सके।

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