दिल्ली AIIMS में नर्सों की हड़ताल से हो रही है मरीजों को परेशानी

दिल्‍ली के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में नर्स यूनियन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है. नर्स यूनियन का कहना है कि उनकी कई मांगें हैं, जिन्हें सरकार और एम्स प्रशासन नहीं मान रहे हैं. ऐसे में उनके पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है.

नर्सों की हड़ताल से दिल्ली के AIIMS में मरीजों की परेशानी बढ़ गई है. नर्सिंग यूनियन का आरोप है कि AIIMS प्रशासन बात करने को तैयार नहीं है. इधर, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश नहीं मानने वालों पर कार्रवाई होगी.

एम्स नर्सिंग यूनियन के प्रेजिडेंट हरीश कुमार काजला ने कहा कि वे इस तरह स्ट्राइक पर नहीं जाना चाहते थे. लेकिन 1 महीना बीत जाने के बाद भी सरकार और एम्स प्रशासन ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया. जिसके चलते 16 दिसंबर से शुरू होने वाली स्ट्राइक को 14 दिसंबर से ही शुरू कर दिया गया.

काजला ने चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगें मानी नहीं जाएंगी, तब तक हड़ताल जारी रहेगी. नर्स यूनियन के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से अस्पताल में भर्ती किए गए मरीजों की परेशानी बढ़ने वाली है. फिलहाल एम्स में करीब 5 हजार नर्सिंग स्टाफ तैनात है. इनमें महिला और पुरुष नर्स दोनों शामिल हैं.

यही स्टाफ एम्स में भर्ती होने वाले सैकड़ों मरीजों की देखभाल करता है. ऐसे में उनके अचानक हड़ताल पर चले जाने से एम्स प्रशासन के लिए हालात संभालने में मुश्किलें हो सकती हैं.एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने नर्सों की अचानक शुरू हुई हड़ताल को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.

उन्‍होंने कहा कि महामारी के इस दौर में सच्चे नर्सिंग कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते. नर्स यूनियन को भी ऐसे वक्त में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि जैसे फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने कहा था कि सच्चे नर्स कभी अपने मरीजों को नहीं छोड़ते, वैसे ही एम्स के सच्चे नर्स अपने मरीजों को नहीं छोड़ेंगे.

डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि नर्सों की मुख्यतः 23 मांगें हैं. इनमें से अधिकतर सरकार और एम्स प्रशासन ने मान ली हैं. फिर भी नर्सिंग यूनियन हड़ताल पर चली गई, इससे मरीजों को देखभाल में दिक्कत हो सकती है.

उन्होंने नर्सिंग यूनियन को हड़ताल खत्म कर काम पर लौटने की अपील की है. लेकिन यूनियन पर उनकी इस अपील का कोई असर होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है. वे अब भी अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं.

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