लोकपाल की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया आदेश

लोकपाल की नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह बिना नेता विपक्ष के ही लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करे. कोर्ट ने कहा, नेता विपक्ष के ना होने की वजह से लोकपाल की नियुक्ति को रोके रखने का कोई औचित्य नहीं है और वर्तमान कानून में बिना LOP के लिए संशोधन किए भी लोकपाल की नियुक्ति की जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया कि बिना कानून में संशोधन किए लोकपाल की नियुक्त नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आमतौर पर जब कोई संशोधन संसद में लंबित हो तो कोर्ट कोई आदेश जारी नहीं करता लेकिन इस कानून में संशोधन के बिना नियुक्ति हो सकती है.

अगर नेता विपक्ष नहीं हैं तो लोकपाल की चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, भारत के प्रधान न्यायाधीश या नामित सुप्रीम कोर्ट के जज ही एक नामचीन हस्ती का चुनाव कर सकते हैं.गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केंद्र के पास इसका कोई जस्टिफिकेशन नहीं है कि इतने वक्त तक लोकपाल की नियुक्ति को सस्पेंशन में क्यों रखा गया है. 

बता दें कि 28 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. केंद्र सरकार की ओर से AG मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि लोकपाल की नियुक्ति वर्तमान हालात में  संभव नहीं है. लोकपाल बिल में कई सारे संशोधन होने हैं जो संसद में लंबित हैं. मल्लिकार्जुन खडगे नेता विपक्ष नहीं हैं. कांग्रेस ने नेता विपक्ष का दर्जा मांगा था लेकिन स्पीकर ने खारिज कर दिया.

इससे पहले भी ऐसा हुआ है जब संसद में नेता विपक्ष ना हो. इस संबंध में सबसे बड़ी पार्टी के नेता को शामिल करने संबंधी संशोधन मॉनसून सत्र में पास होने की उम्मीद है.ये मामला न्यायपालिका में नियुक्ति का नहीं है बल्कि लोकपाल की नियुक्ति का है. न्यायपालिका को अधिकारों के बंटवारे का सम्मान करना चाहिए और संसद को ये निर्देश जारी नहीं करने चाहिए कि लोकपाल की नियुक्ति करे.

ये संसद की बुद्धिमता पर निर्भर है कि वो बिल पास करे. संसद में लोकपाल बिल में करीब 20 संशोधन लंबित हैं. लोकपाल बिल में 2014 में संशोधन प्रस्ताव लाया गया था लेकिन स्टैंडिंग कमेटी ने एक साल ले लिया था .सुप्रीम कोर्ट में लोकपाल की नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका पर अहम् सुनवाई हुई थी.  पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि लोकपाल की नियुक्ति को लेकर लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल को नेता प्रतिपक्ष करार देना ही एकमात्र मसला नहीं है.

सरकार ने कहा कि इसकेअलावा भी कुछ अन्य मसले हैं. केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया था कि इस मसले पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट पर गौर कर रही है. जिस पर कोर्ट ने कहा था कि हम यह जानना चाहते हैं कि सरकार लोकपाल कानून में क्या बदलाव लाना चाहती है.

सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने बताया था कि लोकपाल की नियुक्ति में सिर्फ नेता प्रतिपक्ष का ही मसला ही रोड़ा नहीं है. संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट दे दी है. रिपोर्ट में भ्रष्टाचार निरोधक संस्थाओं के लिए एकीकृत ढांचे की सिफारिश की है. रिपोर्ट में केंद्रीय सतर्कता आयोग और सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को लोकपाल के साथ एकीकृत करने की सिफारिश की गई है.

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