कैबिनेट ने दी एड्स पीड़ितों के बिल को मंजूरी

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एड्स पीड़ितों के हितों की रक्षा करने वाले मसौदा कानून को और मजबूत करते हुए सरकार ने इसमें संशोधन को बुधवार को मंजूरी दे दी.ताकि ऐसे लोगों के साथ भेदभाव करने वालों के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए एक औपचारिक तंत्र स्थापित किया जा सके और कानूनी जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके.

केंद्रीय कैबिनेट ने एचआईवी से संक्रमित लोगों के साथ रह रहे और एचआईवी से प्रभावित लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए एचआईवी एवं एड्स विधेयक, 2014’ को मंजूरी दी.विधेयक में उन बातों को सूचीबद्ध किया गया है जिनके आधार पर एचआईवी से संक्रमित लोगों और उनके साथ रह रहे लोगों के साथ भेदभाव करने पर प्रतिबंध लगाया गया है.

इनमें रोजगारों, शैक्षणिक संस्थानों, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं निवास के लिए या किराए पर दी गई संपत्तियों, सार्वजनिक या निजी कार्यालयों के लिए खड़े होने और बीमा के प्रावधान (जब तक कि वह बीमा विज्ञान संबंधी अध्ययनों पर आधारित न हो) के संबंध में अस्वीकृति, समाप्ति या अनुचित व्यवहार शामिल है.

कैबिनेट की बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया कि रोजगार पाने या स्वास्थ्य सेवाएं या शिक्षा प्राप्त करने की शर्त के तौर पर एचआईवी की जांच की अनिवार्यता पर भी प्रतिबंध लगाया गया है.विधेयक के अनुसार किसी भी व्यक्ति को एचआईवी संबंधी उसकी स्थिति के बारे में खुलासा करने के लिए तब तक बाध्य नहीं किया जा सकता जब तक कि उसकी सूचित सहमति न हो और अदालत के आदेश के तहत ऐसा करना अनिवार्य नहीं हो.

एचआईवी से संक्रमित लोगों की सूचना का रिकॉर्ड रखने वाले संस्थानों को डेटा सुरक्षा संबंधी कदम उठाने होंगे.प्रस्ताव के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु के एचआईवी से संक्रमित या पीड़ित हर व्यक्ति को साझे घर में रहने और घर की सुविधाओं का आनंद लेने का अधिकार है.विधेयक में एचआईवी से संक्रमित लोगों और उनके साथ रह रहे लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने की वकालत करने या उनसे संबंधित सूचना प्रकाशित करने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है.

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