आइये जानते है क्या तालिबानी हुकूमत पाकिस्तान के इशारों पर चलेगी?

तालिबान ने अफगानिस्तान की नई सरकार की घोषणा कर दी है. मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को सरकार का मुखिया बनाया गया है. तालिबान ने यह ऐलान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद की काबुल यात्रा के बाद किया है.

हमीद पिछले हफ्ते अचानक अफगानिस्तान पहुंच गए थे. लिहाजा कयास लगाए जा रहे हैं कि तालिबान ने पाक की सलाह पर ही मंत्रिमंडल की लिस्ट फाइनल की है.आईएसआई प्रमुख ने अपनी यात्रा के दौरान तालिबानी नेता मुल्ला बरादर और हिज्ब-ए-इस्लामी नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार से मुलाकात की थी.

माना जा रहा है कि हमीद के कहने पर ही पीएम पद के लिए मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के नाम पर मुहर लगी है. यदि ऐसा है तो तालिबानी हुकूमत का कंट्रोल पाकिस्तान के पास रहेगा और वो भारत को परेशान करने के लिए साजिश रचने से बाज नहीं आएगा.

ISI चीफ की यात्रा के वक्त पाकिस्तानी मीडिया ने कहा था कि लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने के लिए गए हैं. हालांकि, अब उस मुलाकात की असल वजह समझ आ रही है. बता दें कि पाकिस्तान पर पहले से ही तालिबान का समर्थन करने के आरोप लगते रहे हैं.

पूर्व अफगान सरकार के उपराष्ट्रपति ने खुलकर पाकिस्तान पर आरोप लगाए थे. वहीं तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने इस बात से इनकार किया कि नई सरकार के गठन को लेकर तालिबान नेतृत्व के भीतर मतभेद हैं. उन्होंने कहा था कि अंतिम निर्णय ले लिए गए हैं, हम अब तकनीकी मुद्दों पर काम कर रहे हैं.

इससे पहले मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का नाम अफगानिस्तान में नई सरकार के प्रमुख नेता के रूप में सामने आया था. बरादार तालिबान के नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के करीबी दोस्त थे. जब तालिबान ने आखिरी बार अफगानिस्तान पर शासन किया था, तब बरादर ने उप रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी.

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