देश के पहले 12000 हॉर्सपावर (एचपी) के बिजली के रेल इंजन को मोदी हरी झंडी दिखाएंगे। इसके साथ भारत, रूस, चीन, जर्मनी और स्वीडन समेत उन देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा, जिनके पास 12,000 एचपी या इससे ज्यादा की क्षमता वाले रेल इंजन हैं।प्रधानमंत्री इस मौके पर मधेपुरा रेलवे फैक्ट्री का भी इनॉगरेशन भी करेंगे।
बता दें कि भारतीय रेलवे के पास फिलहाल सबसे ज्यादा क्षमता वाला 6000 एचपी का रेल इंजन है। प्रधानमंत्री मोतिहारी से ग्रीनफील्ड इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री मधेपुरा को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। वे देश के प्रथम 12 हजार हॉर्स (एचपी) पावर के इलेक्ट्रिक रेल इंजन का लोकार्पण, कटिहार-दिल्ली हमसफर एक्सप्रेस के परिचालन का शुभारंभ व मुजफ्फरपुर-सुगौली-वाल्मीकिनगर रेलखंड के दोहरीकरण का शिलान्यास करेंगे।
मधेपुरा की लोकोमोटिव फैक्ट्री राष्ट्र को समर्पित होते ही भारत, रूस, चीन, जर्मनी और स्वीडन समेत उन देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा, जिनके पास 12,000 एचपी या इससे ज्यादा की क्षमता वाले रेल इंजन हैं। गौरतलब है कि भारतीय रेलवे के पास फिलहाल सबसे ज्यादा क्षमता वाला 6,125 एचपी का रेल इंजन है।
सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह कार्यक्रम में शामिल होने आ रहे पीएम मोतिहारी से नगर विकास की पांच योजनाओं का शिलान्यास करेंगे।वे जिन योजनाओं का शिलान्यास करेंगे उनमें सैदपुर सीवरेज नेटवर्क, पहाड़ी एसटीपी, पहाड़ी सीवरेज सिस्टम जोन चार और पहाड़ी सीवरेज सिस्टम जोन पांच के साथ-साथ मोतिहारी स्थित मोतीझील के जीर्णोद्धार की योजना शामिल हैं।
मधेपुरा का लोकोमोटिव फैक्ट्री रेल क्षेत्र में पहला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रोजेक्ट है। इसके लिए 2015 में भारत और फ्रांस सरकार के बीच करार हुआ था।इस प्रोजेक्ट में फ्रांस की मल्टीनेशनल कंपनी एल्सटॉम और इंडियन रेलवे की क्रमश: 74 फीसदी और 26 फीसदी हिस्सेदारी है। 250 एकड़ में बने फैक्ट्री के लिए एल्सटॉम ने 1200 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
एल्सटॉम के अनुसार फैक्ट्री की क्षमता हर साल 120 इंजन बनाने की है। आने वाले 11 साल में यहां 800 इंजन बनेंगे जो भारतीय रेल सिस्टम में शामिल हो जाएंगे।मधेपुरा रेल इंजन फैक्ट्री में 2019-20 में करीब 35 और 2020-21 में 60 इंजन बनेंगे। इसके बाद यह फैक्ट्री हर साल 100 इंजन बनाएगी और 11 साल में 800 रेल इंजन बनाने के अपने टारगेट को पूरा करेगी।
250 एकड़ में बनी इस फैक्ट्री की गिनती सबसे बड़े इंटिग्रेटेड ग्रीन फिल्ड फैसिलिटीज में हो रही है। यहां रेल इंजन के लिए टेस्टिंग ट्रैक भी बनाए गए हैं।मधेपुरा में बने रेल फैक्ट्री प्रोजेक्ट की लागत 1300 करोड़ रुपए है। रेल इंजन के मेंटेनेंस के लिए उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और महाराष्ट्र के नागपुर में मेंटेनेंस डीपो भी बनाए जाएंगे। यहां बनने वाले रेल इंजन की औसत लागत 25-30 करोड़ रुपए है।
मधेपुरा में बना इंजन 9 मेगावाट का है। इसमें एबीबी ट्रांसफॉर्मर लगाया गया है। यह ट्रेन को 120 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार देगा। इतनी रफ्तार को संभालने के लिए ट्रेन में क्नोर-ब्रेम्से ब्रेकिंग सिस्टम लगा है।इस इंजन से माल ढुलाई के लिए बने पूर्वी कॉरिडोर की प्रोडक्टिविटी दोगुनी होने का अनुमान है। इसके साथ भारी सामान ढोने वाले ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ेगी।
12 हजार हॉर्स पावर के इंजन वाली मालगाड़ी से 6 हजार टन सामान ढोया जा सकेगा। रेलवे के एक ऑफिसर के अनुसार इसका इस्तेमाल कोल और भारी समानों की ढुलाई में होगा।यह इंजन हर मौसम में एक ही रफ्तार से मालगाड़ियों को खींच सकेगा।वर्तमान में भारतीय रेल माल ढुलाई के लिए अपनी ट्रेनों में डब्ल्यूएजी-9 इंजन इस्तेमाल करती है।
यह इंजन पहले तक का सबसे पावरफुल इंजन माना जाता था।बिजली बचाने के लिए इस इंजन में इको फ्रेंडली एलईडी लाइट्स और लो वोल्टेज केबल्स लगाए गए हैं। इंजन बिजली बचाने वाली आईजीबीटी (इंसुलेटेड गेट बाइ पोलर ट्रांजिस्टर) बेस्ड प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी से लैस है।पहले इस फैक्ट्री का इनॉगरेशन फरवरी में होना था।
बाद में बताया गया कि फ्रांस के राष्ट्रपति के मार्च में दौरे के दौरान इसे शुरू किया जाएगा, लेकिन दोनों ही तारीखों में बात नहीं बन पाई।पहले कुछ इंजन के लिए कवर बॉडी फ्रांस से इम्पोर्ट की जाएगी। बाद में इसे भी मधेपुरा में ही बनाया जाएगा। एल्सटॉम के अनुसार इस फैक्ट्री से 10 हजार से अधिक लोगों को जॉब मिलेगा।