गलवान घाटी में धोखे से भारतीय सैनिकों पर चीनी सैनिकों के हमले की घटना के बाद भारत ने स्पष्ट कर दिया कि हम वास्तविक सीमा रेखा पर तनाव नहीं बनाएंगे, लेकिन यदि दूसरी तरफ से तनाव बढ़ाने की कोशिश हुई तो उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा।सेना को तात्कालिक हालात को देखते हुए स्वयं निर्णय लेने की छूट भी दे दी गई।
मास्को रवाना होने से एक दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज सीडीएस बिपिन रावत, थल सेना अध्यक्ष एमएम नरवणो, वायुसेना अध्यक्ष आरकेएस भदौरिया और नौसेना अध्यक्ष कर्मवीर सिंह के साथ लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात की समीक्षा की।
सूत्रों ने बताया कि बैठक में यह भी तय किया गया कि ग्राउंड जीरो पर तैनात सैनिकों को वह सब अधिकार दिए जाएं, जो उस वक्त के हालात में जरूरी हों। गौरतलब है कि 15 और 16 जून को हुए संघर्ष में भारतीय सेना ने हथियार नहीं चलाए थे।
इस बात को लेकर चारों तरफ आलोचना हुई थी। सैन्य सूत्रों ने बताया कि अब भारतीय सैनिक टकराव की हालत में अग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल नहीं करने की लंबी समय से चली आ रही प्रथा को मानने के लिए बाध्य नहीं होंगे।
एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा कि अब से हमारा तरीका अलग होगा। ग्राउंड कमांडरों की स्थिति के अनुसार फैसला लेने की हमें पूरी स्वतंत्रता दी गई है। उन्होंने कहा कि रक्षामंत्री ने जमीनी सीमा, हवाई क्षेत्र और रणनीतिक समुद्री मागरे में चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए हैं।
प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर 19 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और स्पष्ट किया था कि हमारी सेना किसी भी परिस्थिति का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सक्षम है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि जिन लोगों ने भारत मां की तरफ आंख उठाकर देखने की हिमाकत की थी, उन्हें माकूल जवाब दे दिया गया है।