भारत अमेरिका की वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी से गुजरात में 6 न्यूक्लियर रिएक्टर लगाने की डील करने जा रहा है। भारत और अमेरिका के बीच 2008 में सिविल न्यूक्लियर डील होने के बाद ये रिएक्टर लगाए जा रहे हैं। यह डील 150 बिलियन डॉलर की है।भारत में कुल 60 न्यूक्लियर रिएक्टर लगाए जाने हैं।इन रिएक्टर के लगने के बाद चीन के बाद न्यूक्लियर एनर्जी मार्केट में भारत सेकंड पोजिशन पर पहुंच जाएगा।
भारत में अभी 5780 मेगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी प्रोडक्शन हो रहा है। 2032 तक इस कैपिसिटी को 63.000 मेगावॉट करने का टारगेट है। इसका मकसद क्लाइमेट चेंज से निपटना और कोयले की खपत कम करना है।वेस्टिंगहाउस की पेरेंट कंपनी तोशिबा है। वेस्टिंगहाउस ने कहा है कि न्यूक्लियर डैमेज कम्पनसेशन के बारे में फ्रेमवर्क बनाने पर बातचीत चल रही है।डील के बारे में जैसे ही खबरें लीक हुईं, वैसे ही तोशिबा के शेयरों में 3.3 फीसदी की उछाल आ गई। हालांकि, तोशिबा ने अपनी तरफ से डील पर कुछ नहीं कहा है।
वेस्टिंगहाउस की भारत से डील के बाद न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर की बड़ी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक पर दबाव बढ़ेगा।छह साल पहले हिताची और जनरल इलेक्ट्रिक को यह कॉन्ट्रैक्ट दिया जाने वाला था, लेकिन डील फाइनल नहीं हो पाई थी।हिताची का कहना है कि भारत में रिएक्टर लगाने की डील के लिए वह अब भी तैयार है, लेकिन कम्पनसेशन का मुद्दा सॉल्व करना होगा।भारत एनपीटी (नॉन प्रोलिफरेशन ट्रीटी) पर साइन करने से इनकार करता रहा है। न्यूक्लियर एनर्जी प्लान्ट लगाने के लिए एनपीटी पर साइन करना जरूरी है। लेकिन भारत के बड़े मार्केट को देखते हुए दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियां यहां प्लान्ट लगाने में इंटरेस्ट दिखा रही हैं।
इस हफ्ते भारत और रूस के बीच आंध्र प्रदेश में छह न्यूक्लियर रिएक्टर लगाने पर डील हो सकती है। रूस तमिलनाडु में भी इतने ही रिएक्टर लगाने की डील भी कर सकता है।न्यूक्लियर एनर्जी रिएक्टर के लिए कम्पोनेंट सप्लाई सबसे अहम होती है। माना जा रहा है कि इस मसले को सुलझाने के लिए भारत जापान से एक अलग डील करने जा रहा है। इस डील के बाद टेक्निकल प्रॉब्लम से जुड़े मसले भी हल हो जाएंगे।