कोरोना के नए स्वरूप ओमीक्रीन (ए.1.1.529) की पहचान की और डब्ल्यूएचओ ने दो दिन बाद इसे चिंता वाला स्वरूप करार दिया।ओमीक्रोन कोरोना वायरस के स्वरूप के मामले में बेहद अलग है क्योंकि यह अब तक सार्स-सीओवी-2 का सबसे ज्यादा बदला हुआ स्वरूप है। इसकी आनुवंशिक संरचना में कुल 53 उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) हैं। अकेले स्पाइक प्रोटीन पर 32 म्यूटेशन हैं।
स्पाइक प्रोटीन सार्स सीओवी-2 वायरस के बाहर निकली हुई गांठ हैं, जो वायरस को कोशिकाओं से चिपकने में मदद करती है ताकि यह उसमें प्रवेश कर सके।वायरस के स्वरूप से तुलना करें तो डेल्टा स्वरूप में नौ म्यूटेशन थे। ओमीक्रोन में ज्यादा उत्परिवर्तन का मतलब हो सकता है कि यह ज्यादा संक्रामक है या फिर प्रतिरक्षा सुरक्षा से बचने में ज्यादा बेहतर है।
ये सारे अनुमान बेहद चिंताजनक हैं। पेशे से विषाणु विज्ञानी सुरेश वी कुचीपुड़ी का अनुसंधान समूह कोरोना के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर रहा है, जिसमें इसके जानवरों में प्रसार का अध्ययन भी शामिल है।ओमीक्रोन में उत्परिवर्तन की असामान्य रूप से उच्च संख्या आश्चर्यजनक है लेकिन इसके अन्य स्वरूप का सामने आना अप्रत्याशित नहीं है।
क्या ओमीक्रोन स्वरूप में ज्यादा उत्परिवर्तन का मतलब है कि यह डेल्टा से ज्यादा खतरनाक और संक्रामक है? इसका सीधा सा जवाब है कि अभी हमें इसकी जानकारी नहीं है। स्वरूप के उद्गम की स्थितियां अभी स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि इसमें उत्परिवर्तन की संख्या असामान्य है। इसकी एक संभावित व्याख्या यह है कि ऐसे मरीज में जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली दब गई हो उसके लंबे समय तक बीमार रहने से कई उत्परिवर्तन हो सकते हैं।
यह एक ऐसी स्थिति है, जो विषाणु के क्रमिक विकास को जन्म दे सकती है।अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार पहले के कुछ सार्स-सीओवी-2 स्वरूपों जैसे कि अल्फा लगातार संक्रमित रहे मरीज से पैदा हुआ हो सकता है। हालांकि, ओमीक्रोन के कई उत्परिवर्तन इसे अलग ही बनाते हैं। इस पर सवाल उठता है कि यह कैसे आया। वायरस के स्वरूप का एक अन्य संभावित स्रोत पशु हो सकते हैं।
जिस वायरस से कोरोना होता है, वह जानवरों की कई प्रजातियों को संक्रमित कर सकता है, जिनमें बाघ, शेर, बिल्ली और कुत्ते समेत अन्य शामिल हैं। अनुसंधानकर्ता कहते हैं कि एक ऐसा अध्ययन जिसकी अभी समीक्षा नहीं हुई है, उसमें एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने हाल में पाया कि अमेरिका में मुक्त क्षेत्र और बंद क्षेत्र में रखे गए सफेद पूंछ वाले हिरण व्यापक रूप से संक्रमित पाए गए हैं।
इसलिए ओमीक्रोन के किसी जानवर से उभार की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता। सार्स-सीवोवी-2 के मूल और शुरुआती स्वरूपों की तुलना में डेल्टा स्वरूप से संक्रमित मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने का ज्यादा खतरा रहता है।यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि ओमीक्रोन डेल्टा से ज्यादा शक्तिशाली है।
ओमीक्रोन में कुछ उत्परिवर्तन डेल्टा स्वरूप के हैं लेकिन इसमें अन्य स्वरूप के भी म्यूटेशन हैं जो कि बिल्कुल अलग है। लेकिन एक खास कारण से अनुसंधान समुदाय ओमीक्रोन को लेकर चिंतित है क्योंकि इसमें रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में 10 म्यूटेशन है (स्पाइक प्रोटीन का वह हिस्सा जो कोशिकाओं में प्रवेश में मध्यस्थता की भूमिका निभाता है) जबकि डेल्टा स्वरूप में ये सिर्फ दो ही थे।
इस बात की ज्यादातर आशंका है कि ओमीक्रोन स्वरूप सार्स-सीओवी-2 का अंतिम स्वरूप नहीं है। इसके और भी स्वरूप आने की आशंकाएं हैं और कोरोना के प्रसार के मद्देनजर ऐसे स्वरूप भी सामने आ सकते हैं जो डेल्टा से ज्यादा संक्रामक हों।