फ्रांस के राष्ट्रपति को बनारस की सैर कराएंगे पीएम मोदी

12 मार्च को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों को बनारस की सैर कराएंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। वे अस्सी घाट से मणिकर्णिका तक पांच किलोमीटर बुलेटप्रूफ बोट में बैठकर जाएंगे। इस दौरान उनके बीच कई मुद्दों पर चर्चा होगी। शाम को वे गंगा आरती में शामिल होंगे। दोनों नेता शहर में करीब छह घंटे बिताएंगे।

मोदी अप्रैल 2015 में फ्रांस दौरे पर गए थे। तब उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद के साथ सीन नदी पर बोट राइड लुत्फ लिया था। इसे ही ‘नाव पर चर्चा’ नाम दिया गया था। इस दौरे पर दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा समेत कई क्षेत्रों में 20 समझौते हुए थे।मोदी के आने की तारीख तय होने के साथ ही प्रशासन सतर्क हो गया है।

 

इस बार गंगा आरती को और भव्य बनाने की तैयारियां की जा रही हैं।प्रशासन गंगा आरती दशाश्वमेध और अस्सी घाट में से किसी एक कराने का प्लान बना रहा है।इस बार घाटों पर बनारस की संस्कृति को दिखाया जाएगा। इसके लिए दशाश्वमेध से लेकर अस्सी घाट तक प्रदर्शनी लगाई जाएगी।

इनमें वेदों का उच्चारण करते बटुक और तबला, सितार, सारंगी बजाते कलाकार होंगे। साथ ही साधु-संत प्रार्थना करते दिखाई देंगे।मोदी और मैक्रों बनारस जाने से पहले मिर्जापुर जाएंगे। वहां दादरकला गांव में 650 करोड़ की लागत से बने 75 मेगावाट के सोलर पावर प्लांट का इनॉग्रेशन करेंगे।

फ्रांस की कंपनी एनवॉयर सोलर प्राइवेट लिमिटेड और नेडा की मदद से यह सोलर प्लांट तैयार किया गया है। इनॉग्रेशन के दौरान करीब 45 मिनट दोनों लीडर मिर्जापुर में रहेंगे।नरेंद्र मोदी इससे पहले 12 दिसंबर 2015 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे को भी बनारस लेकर आए थे। दोनों नेता गंगा आरती में शामिल हुए थे।

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर केके मिश्रा ने DainikBhaskar.com से बातचीत में इस यात्रा के 5 फायदों के बारे में बताया।मोदी ने भारत को विश्व गुरु और काशी को राष्ट्र गुरु बनाने का सपना देखा है। पहले शिंजा आबे और अब वे मैक्रों को लेकर आ रहे हैं। वे यहां की संस्कृति, गंगा, घाट और मंदिरों के जरिए एक ही बार में लघु भारत दिखाना चाहते हैं। 

पूरी दुनिया जब आतंकवाद से जूझ रही है, ऐसे में मोदी दुनिया को बताना चाहते हैं कि वाराणसी विश्व शांति का केंद्र है। यहां स्वामी विवेकानंद, शंकराचार्य, रविदास, बुद्ध जैसे संत महात्मा भी इसी तलाश में आए थे।वर्ल्ड हेरीटेज सिटी का ड्रीम तभी पूरा होगा। जब काशी की गलियों, कारोबार, संस्कृति, रहन-सहन, मंदिरों और 84 घाटों की चर्चा राष्ट्राध्यक्षों के जरिए हर देश में होगी। 

ग्राउंड पॉलिटिक्स के जरिये पाकिस्तान, चीन जैसे देशों को यह मैसेज देना कि भारत के लिए दिल्ली और मुंबई ही नहीं, बल्कि बनारस जैसे शहरों की भी अहमियत है। राष्ट्राध्यक्ष के आने से उस कंट्री के लोग पुरे भारत से मैन टू मैन कनेक्ट होते है।एनर्जी प्लांट का उद्घाटन पुरे विश्व को मैसेज देगा कि भारत एनर्जी, इन्वॉयर्नमेंट, इम्प्लॉयमेंट, इन्वेस्टमेंट के साथ टूरिज्म को लेकर बड़ा काम कर रहा है।

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