दिल्ली में डेंगू से मरने वालों की संख्या 16 हुई

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दिल्ली में दो लड़कियों की डेंगू से मौत होने से इस बीमारी से मरने वालों की संख्या आज बढ़कर 16 हो गई है. पिछले पांच वर्षों में इसे डेंगू का सबसे भीषण प्रकोप कहा जा रहा है.चिकित्सकों ने बताया कि दक्षिणी दिल्ली के संगम विहार निवासी तीन वर्षीय नेहा माथुर की कल साकेत सिटी अस्पताल में डेंगू से मौत हो गई. उन्होंने बताया कि ओखला निवासी नौ वर्षीय लड़की की गत 15 सितम्बर को आरएमएल अस्पताल में मौत हो गई थी. 

नेहा के पिता विनोद माथुर के अनुसार उसे कुछ समय से बुखार था और उन्होंने 11 सितम्बर को उसकी जांच करायी लेकिन रिपोर्ट सामान्य आयी. उसके पिता ने कहा, ‘‘जांच रिपोर्ट सामान्य थी लेकिन बुखार कम नहीं हो रहा था. हम 15 सितम्बर को उसे पंडित मदन मोहन मालवीय अस्पताल लेकर गए. वहां चिकित्सकों ने उसकी कोई जांच नहीं की, केवल ड्रिप दी और छुट्टी दे दी. कल रात करीब तीन बजे उसे तेज बुखार हुआ और हम उसे हमदर्द नगर स्थित माजीदा अस्पताल लेकर गए जहां चिकित्सकों ने उसे फिर से इंजेक्शन दिया और उसे स्थिर किया. उन्होंने उसे भर्ती नहीं किया और न ही कोई जांच की.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम उसे घर लेकर आ गए लेकिन उसकी स्थिति खराब हो रही थी और हम उसे दिन में करीब 11 बजे साकेत सिटी अस्पताल लेकर गए जहां उसकी मौत हो गई. अस्पताल में जांच रिपोर्ट में डेंगू की पुष्टि हुई.’’अस्पताल के बाल चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डा शशिशेखर सिंह ने कहा, ‘‘मरीज को जब यहां लाया गया तो उसे आंतरिक रक्तसाव हो रहा था और उसकी डेंगू शॉक सिंड्रोम से मौत हो गई.’’

नगर निगम अधिकारियों के अनुसार डेंगू के मामलों की संख्या दो हजार पार कर गई है. आधिकारिक आंकड़े के अनुसार मृतक संख्या पांच है.
 ऐसे में जब दिल्ली में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, अस्पताल बिस्तर की कमी का सामना कर रहे हैं जबकि चिकित्सक अधिक काम की शिकायत कर रहे हैं.स्वास्थ्य अधिकारियों ने यद्यपि इस बीमारी पर रोक लगाने के लिए उपाय तेज कर दिये हैं लेकिन स्थिति पर अभी पूरी तरह काबू नहीं पाया गया है क्योंकि इसके मामलों की संख्या बढ़कर दो हजार पार कर गई है.

डेंगू के मामलों पर नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार ने कल तीन अस्पतालों क्रमश: जनकपुरी, अशोक विहार और ताहिरपुर में 600 नये बिस्तर बढ़ाने का आदेश दिया था.बड़ा हिंदू राव अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा वी के खुराना ने कहा, ‘‘960 बिस्तरों में से करीब 370 पर 600 डेंगू के मरीज हैं. नौ वार्डों में डेंगू के मरीज हैं. वह भी कम पड़ रहे हैं.’’डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी होने से अस्पतालों में जगह की भारी कमी हो गई है. मरीजों को वहां पर बिस्तर हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. वहीं चिकित्सकों का कहना है कि उन पर काम का काफी बोझ है.

स्वास्थ्य एवं प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से इस बीमारी पर रोक लगाने के लिए प्रयास बढ़ाये जाने के बावजूद मच्छर से फैलने वाली इस बीमारी से पीड़ितों की संख्या दो हजार पार कर गई है. इसमें से 1200 मामले पिछले सप्ताह ही सामने आये हैं.  बिस्तरों की कमी का सामना कर रहे कई अस्पतालों ने डेंगू के मरीजों को मुहैया कराने के लिए अन्य विभागों के बिस्तर खाली कराने शुरू कर दिये हैं.

एम्स ने अन्य विभागों से कहा है कि वे कम से कम दो बिस्तर डेंगू मरीजों के लिए आरक्षित रखें. इसके बावजूद आपात वार्ड के बाहर स्ट्रेचरों पर मरीजों की लाइन लगी है.सफदरजंग अस्पताल में मरीजों को जमीन पर या स्ट्रेचर पर ही सैलाइन चढ़ाया जा रहा है जबकि एक बिस्तर पर तीन-तीन मरीज हैं.दिल्ली सरकार ने सभी अस्पतालों से कहा है कि वे फीवर क्लीनिक खोलें लेकिन जगह की कमी इसमें भी आड़े आ रही है.

लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के चिकित्साधीक्षक अमिता सक्सेना ने कहा, ‘‘हमें फीवर क्लीनिक चालक कक्ष में खोलने पड़े. चालकों में असंतोष है क्योंकि हमने उनके कक्ष ले लिये हैं लेकिन हमारे पास उसके अलावा कोई अन्य जगह नहीं थी.’’वहीं डेंगू के मामलों में वृद्धि और मरीजों में प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ने के बीच एक अस्पताल ने मरीजों में प्लेटलेट्स संख्या के रूझान का पता लगाने के लिए एक अलग जांच का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

चिकित्सकों के अनुसार इमेच्योर प्लेटलेट फैक्शन (आईपीएफ) परिवर्तनशील होता है जो कि कम प्लेटलेट्स वाले डेंगू के मरीज में किया जा सकता है. यदि वैल्यू 10 प्रतिशत के आसपास है तो यह संकेत देता है कि अधिकतर मामलों में बहुत जल्द प्लेटलेट्स की संख्या में सुधार शुरू हो जाएगा. उन्होंने कहा कि आईपीएफ प्रतिशत प्लेटलेट्स में सुधार के समय का आकलन कर सकता है.

दिल्ली सरकार ने कहा कि वह आपात स्थिति में मरीजों को इलाज मुहैया कराने से इनकार करने वाले अस्पतालों को सजा देने के लिए एक अध्यादेश लाने पर विचार कर रही है. दिल्ली सरकार पर स्थिति से प्रभावी तरीके से नहीं निपटने के आरोप लग रहे हैं. सूत्रों के अनुसार अध्यादेश सरकार को यह अधिकार देगा कि वह आपात स्थिति वाले मरीज को भर्ती करने से इनकार करने वाले अस्पतालों पर भारी जुर्माना लगाये और यहां तक कि उनका पंजीकरण भी रद्द कर दे.  

छोटी बच्ची नेहा की कल साकेत सिटी अस्पताल में मौत हो गई और उसके दुखी अभिभावकों ने आरोप लगाया कि एक सरकारी अस्पताल और दक्षिणी दिल्ली के एक निजी नर्सिंग होम ने उसे डेंगू का उचित इलाज मुहैया नहीं कराया. संगम विहार क्षेत्र की निवासी नेहा ऐसा तीसरा बच्चा है जिसकी शहर में कथित तौर पर चिकित्सकीय लापरवाही से डेंगू से मौत हुई है. 

कल दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने निजी अस्पतालों को निर्देश दिया था कि वे डेंगू के मरीजों के इलाज के लिए बिस्तरों की संख्या में 10-20 प्रतिशत की जल्द से जल्द बढ़ोतरी करें. उन्होंने इसके साथ ही दिल्ली सरकार की ओर से संचालित अस्पतालों को भी निर्देश दिया था कि वे रविवार तक बिस्तरों की संख्या एक हजार तक बढ़ायें. 

ऐसे में जब डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं, आप ने कहा कि वह मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराने के लिए पूरे दिल्ली में ‘‘फीवर क्लीनिक्स’’ की स्थापना करेगी. सत्ताधारी पार्टी ने भाजपा शासित निगमों पर इस बीमारी को फैलने से रोकने में ‘‘पूर्ण रूप से विफल’’ रहने का आरोप लगाया था.डेंगू के तेजी से फैलने और दिल्ली के अस्पतालों में बिस्तर उपलब्ध नहीं होने से चिंतित गृह मंत्रालय ने आज स्थिति की समीक्षा की और दिल्ली सरकार को लोगों की पीड़ा दूर करने के लिए सभी संभव कदम उठाने का निर्देश दिया.

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