पुराने नोटों को लेकर 17 जुलाई को संसद में रिपोर्ट रखेगी कमेटी

आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल दूसरी बार पार्लियामेंट्री पैनल के सामने पेश हुए। उन्होंने पुराने नोटों की गिनती जारी होने का हवाला देते हुए कोई निश्चित आंकड़ा स्टैंडिंग कमेटी के सामने नहीं रखा, जिससे कई मेंबर्स ने असंतोष जाहिर किया। अब कमेटी नोटबंदी पर रिपोर्ट तैयार कर 17 जुलाई को मानसून सेशन में इसे संसद में रखेगा। 

बुधवार को कमेटी की मीटिंग तीन घंटे से ज्यादा वक्त तक चली। इसमें मेंबर्स ने पटेल से नोटबंदी के बाद कितनी रकम सिस्टम में वापस लौटी? समेत कई सवाल पूछे। आरबीआई गवर्नर इसका ठीक आंकड़ा नहीं बता पाए। इस दौरान उनके साथ डिप्टी गवर्नर एसएस मुंद्रा भी मौजूद थे।

फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन एम. वीरप्पा मोइली ने बताया कि नोटबंदी के मुद्दे पर आगे आरबीआई चीफ को नहीं बुलाया जाएगा। हमने इसे लेकर लंबी चर्चा की। एक सीनियर मेंबर ने कहा कि गवर्नर ने कोई आंकड़ा तो नहीं दिया, लेकिन पुराने नोटों की वापसी की कुछ जानकारी बताई।

जनवरी की पहली मीटिंग में पटेल का बचाव करने वाले पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने पटेल से कोई सवाल नहीं पूछा। पहले मनमोहन ने कहा था कि एक इंस्टीट्यूशन के तौर पर आरबीआई और गवर्नर का सम्मान किया जाना चाहिए।मेंबर्स के सवालों पर पटेल ने कहा बैन नोट अभी नेपाल से आ रहे हैं। सहकारी बैंकों को पुराने नोट जमा कराने की इजाजत दी है और पोस्ट ऑफिस भी रिजर्व बैंक के पास पुराने नोट जमा कराने वाले हैं।

ऐसे में कितनी रकम लौटी, इसका कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है। स्पेशल टीम रात-दिन नोटों की गिनती में लगी है। उन्हें सिर्फ रविवार को छुट्टी दे रहे हैं।पटेल ने आगे कहा नोटबंदी के बाद अब तक 15.4 लाख करोड़ रुपए कीमत के नोट सर्कुलेशन में आ चुके हैं जबकि नोटबंदी के वक्त 17.7 लाख करोड़ रुपए कीमत के नोट चलन में थे।

मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1000 रुपए के बड़े नोट आधी रात से बैन कर दिया था। सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष ने जमकर विरोध किया था। कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में पार्लियामेंट्री कमेटी नोटबंदी पर रिपोर्ट तैयार कर रही है।

नोटबंदी के बाद पटेल दूसरी बार पैनल के सामने पेश हुए। इसके पहले जनवरी में आरबीआई चीफ ने कहा था कि नोट बैन के बाद कितना पैसा लौटा इस पर पैनल को बयान सौंपेंगे। पैनल ने उन्हें दूसरी बार 25 मई को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने तब वक्त मांगा था।

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