लाल किला हिंसा मामले में मुख्य आरोपी दीप सिद्धू को मिली तीस हजारी कोर्ट से जमानत

लाल क़िला हिंसा मामले में मुख्य आरोपी दीप सिद्धू को कोर्ट से राहत मिली है. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दीप सिद्धू को 30 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है. हालांकि कोर्ट ने दीप सिद्धू को जमानत देने के पीछे कुछ शर्त लगाई है.तीस हजारी कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दीप सिद्धू पुलिस की जांच में मदद करेगा और गवाहों को प्रभावित नहीं करेगा.

24 घंटे अपने फोन को ऑन रखना होगा और अपनी लोकेशन की जानकारी जांच अधिकारी को देनी होगी.जान लें कि इससे पहले दीप सिद्धू की जमानत याचिका पर दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 12 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट में दीप सिद्धू ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था.

दीप सिद्धू के वकील अभिषेक गुप्ता ने कहा था कि जांच एजेंसी के पास ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि लाल क़िला पर हुई हिंसा में दीप सिद्धू शामिल था. जांच एजेंसी ने दीप सिद्धू के खिलाफ 1 लाख रुपये का इनाम रख दिया. जांच एजेंसी कैसे न्यूज रिपोर्ट के आधार पर ऐसा कर सकती हैं?

इधर दिल्ली पुलिस ने दीप सिद्धू की जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि सिद्धू न सिर्फ उस दिन हिंसा में शामिल था बल्कि एक दिन पहले ही उसने पूरी साजिश रची थी. लोनी का रूट लेकर वह सीधा लाल क़िला पहुंचा था. इतना ही नहीं उसने लोगों को झंडा फहराने के लिए उकसाया.

इसके लिए 25 जनवरी को सिंघु बॉर्डर पर बाकायदा एक मीटिंग की गई थी. 26 जनवरी को दीप सिद्धू लाल क़िला पर 1 बजकर 54 मिनट पर पहुंचा था. इस हिंसा में 144 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए, यह सब दीप सिद्धू की वजह से ही हुआ.दीप सिद्धू के वकील अभिषेक गुप्ता ने कहा था कि दीप सिद्धू किसी भी किसान संगठन से जुड़ा हुआ नहीं है.

ट्रैक्टर रैली के लिए उनकी तरफ से कोई भी घोषणा या आह्वान नहीं किया गया था और दीप सिद्धू ने लाल क़िला जाने के लिए भी नहीं कहा था. दीप सिद्धू के वकील ने कहा कि सिद्धू लाल क़िला पर बहुत बाद में पहुंचा था, फोन रिकॉर्ड और दीप सिद्धू के रूट को जांच एजेंसियों ने वेरीफाई किया है. हिंसा की किसी भी वारदात को दीप सिद्धू ने अंजाम नहीं दिया.

उन्होंने आगे कहा कि दीप सिद्धू गलत समय पर गलत जगह पर मौजूद था. दीप सिद्धू वहां पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन के लिए मौजूद था. उसने वहां पर मौजूद भीड़ को शांत करवाने की कोशिश भी की. शांति से प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकारों से एक है.

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