सुभाष चंद्र बोस के काफी लंबे वक्त तक उत्तर प्रदेश के कैथी गांव की गुफाओं में सारदानंद बनकर रहने की बात का खुलासा हुआ है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, नेताजी काफी लंबे वक्त तक कैथी गांव की गुफाओ में संत बनकर भी रहे। कैथी गांव वाराणसी और गाजीपुर मार्ग पर स्थित है। नेताजी ने यहां सारदानंद बनकर लंबा वक्त बिताया था। 14 जनवरी 1952 को मकर संक्रांति वाले दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सारदानंद बनकर कैथी गांव में बनी गुफा में प्रवेश किया और यहां लंबा वक्त बिताया।
रिपोर्टों का कहना है कि नेताजी के लिए यहां अंग्रेजी अखबार अमृत बाजार पत्रिका की भी नियमित व्यवस्था की गई थी। नेताजी के लिए कैथी गांव में रहने का इंतजाम कृष्णकांत पांडेय ने किया था। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, कृष्णकांत ने नेताजी की गतिविधियों को एक दस्तावेज की तरह अपनी डायरी में लिखा है। रिपोर्टों का कहना है कि पूर्व आईबी अधिकारी और कृष्णकांत के बेटे श्यामाचरण पांडेय ने इस साल जून में सबूत के साथ इस बात की जानकारी दी थी और चाहते थे कि सरकार इन सबूतों के आधार पर यह घोषित करे की नेताजी की मौत विमान हादसे में नहीं हुई थी।