मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चर्चा के दौरान केंद्र सरकार के कामकाज और नीतियों को लेकर जमकर आरोप लगाया।पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के बढ़ते दामों पर गहलोत ने कहा की एक्साइज ड्यूटी केंद्र सरकार बढ़ा रही है लेकिन बदनाम राज्य सरकारों को होना पड़ रहा है।
जनता को राहत देने के लिए हाल ही में उनकी सरकार ने 2 फ़ीसदी वेट कम किया था जिसके चलते सरकार को 1000 करोड रुपए का घाटा भी हुआ, लेकिन केंद्र से कोई राहत नहीं मिल रही है।
साथ ही जीएसटी में से राज्य का हिस्सा नहीं मिलने और केंद्र की योजनाओं के लिए राज्य सरकार की वित्तीय भागीदारी को बढ़ाए जाने को भी अशोक गहलोत ने अनुचित बताया और कहा कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों की धज्जियां उड़ाने वाली सरकार केंद्र ही हैं।
बीजेपी पर धन-बल और संवैधानिक संस्थानों के जरिए चुनी हुई सरकारों को गिराने का एक बार फिर से आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि हिटलरशाही राजस्थान से नहीं बल्कि दिल्ली से हो रही है। बीजेपी वालों को भी विरोध करना चाहिए, क्योंकि नोटबंदी और जीएसटी के चलते आज काम धंधे बंद हो गए हैं।
बेरोजगारी बढ़ रही है और आम आदमी परेशान हैं। लगे हाथों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इशारों ही इशारों में उनकी सरकार को गिराने की कोशिशों का मुद्दा भी उठाया और साफ किया कि मुख्यमंत्री बनने के लिए वैल्यू बेस्ड राजनीति करनी पड़ती है।