छपरा में पूर्व प्रधानाचार्य को 17 साल की कैद

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जहरीले मिड डे मील से 23 बच्चों की मौत की दोषी पूर्व प्रधानाचार्या को छपरा की एक अदालत ने 17 साल के कारावास की सजा सुनाई.छपरा व्यवहार न्यायालय ने सोमवार को तीन साल पूर्व गंडामन धर्मासती प्राथमिक विद्यालय में विषाक्त मध्याह्न भोजन से 23 बच्चों की हुई मौत के मामले में प्रधानाध्यपक मीना देवी को 17 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनायी. 

एडीजे-2 विजय आनंद तिवारी ने इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पिछले 24 अगस्त को मीना देवी को दोषी करार दिया था.इस मामले में मशरक थाने में प्राथमिकी ( कांड संख्या-154/13) दर्ज की गयी थी. सोमवार को सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई.लोक अभियोजक सुरेन्द्र नाथ सिंह ने विषाक्त मध्याह्न भोजन से 23 बच्चों की मौत और 25 बच्चों के बीमार होने की घटना के लिए मीना देवी को कठोरतम दंड देने की प्रार्थना न्यायाधीश से की.

अदालत ने दोषी मीना देवी को कुल 17 साल के सश्रम कारावास  की सजा सुनाने के बाद 3 लाख 75 हजार रुपये का अर्थ दंड  भी लगाया. सजा सुनते ही दोषी मीना देवी अदालत में ही फूट-फूटकर रोने लगी.अदालत ने दोषी मीना देवी को भारतीय दंड विधान की धारा 304 के तहत दस वर्ष के सश्रम कारावास के साथ दो लाख पचास हजाररुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया.

इसके अलावा अदालत ने धारा 308 (2) के तहत दोषी को सात साल की सजा और एक लाख 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. दोनों सजाएं अलग-अलग चलेंगी.अदालत ने जुर्माने की कुल राशि का 20 प्रतिशत हिस्सा सरकार के खाते में जमा कराने तथा शेष राशि प्रशासन के माध्यम से मृतक के परिजनों के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया. उधर,आरोपी के अधिवक्ता भोला राय एवं उनके सहायक नरेश राय ने कहा कि हम न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं.

बावजूद इसके वे पटना उच्च न्यायालय अपील करेंगे. लोक अभियोजक सुरेन्द्र नाथ सिंह ने कहा कि सजा से मैं काफी संतुष्ट हूं बिहार में इस तरह की पहली सजा किसी न्यायाधीश के द्वारा दी गयी है. गौरतलब हो कि 16 जुलाई 2013 को विषाक्त मध्यान भोजन खाने से सारण जिले के गंडामन धर्मासती प्राथमिक विद्यालय के लगभग 50 बच्चे बीमार हो गये थे जिनमें से 23 बच्चों की मौत हो गयी थी. 

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