CBI ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती से पूछताछ की

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राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य योजना (एनआरएचएम) घोटाले के सिलसिले में सीबीआई ने यूपी की पूर्व सीएम और बीएसपी सुप्रीमो मायावती से दो घंटे तक पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार डीआईजी समेत 8 मेंबर वाली टीम ने मायावती से बीती 28 सितंबर को पूछताछ की थी। सीबीआई ने इससे पहले दावा किया था कि एनआरएचएम घोटाले में उसे नए सबूत मिले हैं। इस मामले में सीबीआई अभी तक 74 एफआईआर दर्ज कर चुकी है। जबकि, आरोपियों के खिलाफ 48 चार्जशीट्स भी दाखिल हो चुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक पूछताछ के दौरान मायावती ने कई अहम सवालों के जवाब नहीं दिए। साथ ही मुख्यमंत्री रहते लिए गए कई अहम फैसलों के बारे में भी कहा कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

बता दें कि सीबीआई ने पहले कहा था कि साल 2007 में मुख्यमंत्री बनने के बाद मायावती ने यूपी के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभागों को अलग-अलग कर दिया था। नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) को परिवार कल्याण विभाग के तहत रखा गया था। बीएसपी सरकार ने डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट अफसरों (डीपीओ) के 100 पदों पर लोगों की तैनाती भी की थी। इन अफसरों पर घोटाले की स्क्रिप्ट लिखने का आरोप है। सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसी ने पाया है कि डीपीओ के पद गलत तरीके से बनाए गए थे।

सीबीआई की एफआईआर कहती है कि डीपीओ बनाए गए लोगों ने ही कुछ खास सप्लायरों को एनआरएचएम के लिए दवा सप्लाई करने का काम दिया। इसके बदले में आरोपियों को बड़ी मात्रा में इन सप्लायरों ने धन दिया।हाल ही में जब खबर आई थी कि मायावती से एनआरएचएम घोटाले के संबंध में पूछताछ हो सकती है, तो बीएसपी सुप्रीमो ने पलटवार करते हुए केंद्र पर आरोप लगाया था। उन्होंने उस वक्त कहा था कि बिहार में चुनाव के कारण केंद्र सरकार राजनीतिक फायदे के लिए सीबीआई का गलत इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने ये दावा भी किया था कि घोटाले से उनका कोई लेना-देना नहीं है।

एनआरएचएम घोटाले में मायावती सरकार में मंत्री रहे अनंत मिश्रा उर्फ अंतू और बाबू सिंह कुशवाहा भी लपेटे में आए थे। अंतू को इस मामले में पद छोड़ना पड़ा था। वहीं बाबू सिंह कुशवाहा अभी भी जेल में हैं। सीबीआई का कहना है कि केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के खिलाफ जाकर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभागों को अलग करने की वजह ये थी कि कुशवाहा के पास ही एनआरएचएम का फंड आए।

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