केंद्र सरकार ने 11 अरब डालर का निवेश और 30 अरब डालर का निर्यात हासिल करने के लिए कपड़ा एवं परिधान क्षेत्रों के लिए 6,000 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को मंजूरी दे दी.जिन उपायों को मंजूरी दी गई है उनमें परिधानों के लिए ड्यूटी ड्रॉ बैक, उत्पादकता बढ़ाने को श्रम कानूनों में लचीलापन तथा परिधान विनिर्माण में रोजगार पैदा करने के लिए कर और उत्पादन प्रोत्साहन शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया.
बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पिछले कुछ साल में परिधान विनिर्माण लागत लाभ की वजह से चीन जैसे देशों को स्थानांतरित हुआ है. हालांकि, श्रमिकों की मजदूरी बढ़ने की वजह से चीन का लागत लाभ अब सीमित हुआ है.जेटली ने कहा कि इस पैकेज से कपड़ा और परिधान क्षेत्र में रोजगार सृजन की वास्तविक क्षमता को पाने में मदद मिलेगी.
कपड़ा सचिव रश्मि वर्मा ने पत्रकारों से कहा, ‘‘6,000 करोड़ रुपये के पैकेज से 11 अरब डालर का अतिरिक्त निवेश लाने में मदद मिलेगी. एक करोड़ अतिरिक्त रोजगार के अवसरों का सृजन किया जा सकेगा और 30.4 अरब डालर की निर्यात बढ़ोतरी हासिल होगी. इससे कपड़ा और परिधान क्षेत्र को काफी मदद मिल पाएगी.
वर्मा ने कहा कि यदि हम पैकेज को उचित तरीके से क्रियान्वित कर पाते हैं, तो अगले तीन साल में परिधान निर्यात के मामले में वियतनाम और बांग्लादेश को पछाड़ देंगे.अन्य उपायों में श्रम कानूनों में भी ढील दी गई है जिसके तहत श्रमिकों के लिए ओवरटाइम के घंटे बढ़ाए गए हैं जो आईएलओ नियमों के तहत आठ घंटे से अधिक नहीं होंगे. इसके अलावा परिधान क्षेत्र की सीजन के हिसाब काम की प्रकृति को देखते हुए निश्चित अवधि का रोजगार शुरू किया गया है.
निश्चित अवधि के श्रमिकों को काम के घंटों, वेतन, भत्तों और अन्य सांविधिक भत्तों के मामले में स्थायी श्रमिकों के बराबर माना जाएगा.आधिकारिक बयान में कहा गया है कि परिधान क्षेत्र के लिए सब्सिडी को 15 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया है, जिससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगी. इस योजना का विशिष्ट पहलू यह है कि सब्सिडी का वितरण तभी किया जाएगा जबकि उम्मीद के अनुसार रोजगार के अवसरों का सृजन हो जाएगा.
ज्यादातर नए रोजगार के अवसर महिलाओं को मिलेंगे क्योंकि परिधान उद्योग के कुल श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी 70 प्रतिशत की है. ऐसे में पैकेज से महिला सशक्तीकरण के जरिये सामाजिक बदलाव लाने में मदद मिलेगी. उद्योग संगठनों ने इन पहलों का स्वागत किया है. हालांकि कुछ का कहना है कि शोध एवं विकास के लिए पैकेज में समर्थन का अभाव है.
आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव शक्तिकान्त दास ने कहा कि बुधवार को घोषित कुछ पहलों में सनसेट प्रावधान है. ये ऐसे प्रोत्साहन नहीं हैं जो हमेशा जारी रहेंगे.दास ने कहा, ‘‘सनसेट प्रावधान आज से तीन साल बाद यानी 2019 है. तीन साल की खिड़की खोली गई है और सभी पहल तीन साल के लिए वैध होंगी. हम उम्मीद करते हैं कि उद्योग इसका इस्तेमाल करेगा और अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करेगा.
सरकार के पैकेज पर भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ (सिटी) के महासचिव बिनाय जॉब ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद एक बार सकारात्मक नतीजे सामने आने के बाद सरकार इसका विस्तार कपड़ा क्षेत्र की समूची श्रृंखला में करेगी, क्योंकि इस क्षेत्र में रोजगार सृजन की काफी क्षमता है.