प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों एवं निम्न आय वर्ग सहित आर्थिक रूप से कमजोर तबके से जुड़े लाभार्थियों को आवास कर्ज पर ब्याज सहायता बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत तक करने की अंतर-मंत्रालयी समिति की सिफारिशें स्वीकार कर ली.मंत्रिमंडल के इस निर्णय से शहरी गरीबों को करीब 2.30-2.30 लाख रुपये तक का फायदा होगा क्योंकि इससे उनकी समान मासिक किस्त करीब 2,852 रुपये प्रति माह तक घट जाएगी.राजग सरकार की इस महती योजना को औपचारिक रूप से 25 जून को शुरू किया जायेगा और उस समय तक सरकार इसके क्रियान्वयन के लिए दिशानिर्देश जारी कर देगी.
आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, वर्तमान में 10.50 प्रतिशत की ब्याज दर के साथ 15 साल की पुनर्भुगतान अवधि के छह लाख रुपये के स्वीकार योग्य कर्ज पर ईएमआई 6,632 रुपये बैठती है.मंत्रिमंडल द्वारा कर्ज से जुड़ी 6.50 प्रतिशत की ब्याज सहायता देने के फैसले से ईएमआई घटकर 4,050 रुपये पर आ जाएगी जिससे शहरी गरीब को प्रतिमाह 2,582 रुपये का फायदा होगा.कुल मिलाकर अगले सात साल के दौरान शहरी इलाकों में 2 करोड़ नए मकान बनाने के लिए राष्ट्रीय शहरी आवास मिशन के तहत विभिन्न मदों के अंतर्गत एक लाख रुपये से 2.30 लाख रुपये के दायरे में केंद्रीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल की पूर्व की मंजूरी के मुताबिक, राष्ट्रीय शहरी आवास मिशन में चार घटक हैं.भूमि को संसाधन घटक के तौर पर इस्तेमाल करने वाले निजी डेवलपरों की भागीदारी के साथ झुग्गी बस्तियों की पुनर्विकास योजना के तहत प्रति लाभार्थी औसतन एक लाख रुपये की केंद्रीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों को इस तरह की परियोजनाओं को व्यवहारिक बनाने के लिए इस अनुदान का उपयोग किसी भी बस्ती पुनर्विकास योजना के लिए करने की स्वतंत्रता होगी.दूसरे वर्ग में, कर्ज से जुड़ी सब्सिडी योजना के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और निम्न आय समूह (एलआईजी) लाभार्थियों को प्रत्येक आवास कर्ज पर 6.50 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी.
वहीं तीसरे वर्ग में निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों की साझीदारी में सस्ते मकान उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक लाभार्थी को डेढ़ लाख रुपये की केंद्रीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी जिससे निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों को शामिल कर शहरी गरीबों के लिए आवास को प्रोत्साहन मिल सकेगा. हालांकि इस वर्ग में एक शर्त है कि परियोजनाओं की 35 प्रतिशत आवासीय इकाइयां आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए अलग रखी जाएंगी.