पूर्व विधायक भीमराव अंबेडकर को मायावती ने बनाया राज्यसभा का उम्मीदवार

मायावती ने राज्यसभा चुनाव के लिए सभी अटकलों को विराम देते हुए राज्यसभा उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. मायावती ने पूर्व विधायक भीमराव अंबेडकर को पार्टी की तरफ से राज्य सभा का उम्मीदवार घोषित किया गया है. इससे पहले अटकलें लगाई जा रही थीं कि या तो खुद मायावती या फिर उनके छोटे भाई आनंद कुमार के राज्यसभा जाने की खबरें यूपी के सियासी गलियारे में चल रही थीं.

कयास ये भी लगाए जा रहे थे कि मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन खुद अपने लिए किया है. लेकिन बीएसपी सुप्रीमो ने तमाम अटकलों को खत्म करते हुए औरैया जिले के सैनपुर गांव के रहने वाले भीमराव अंबेडकर को अपना उम्मीदवार चुना.मायावती ने लखनऊ में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में राज्यसभा उम्मीदवार के नाम की घोषणा की.

मायावती ने मीडिया को जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि वह खुद चौथी बार राज्यसभा चुन कर जाने की बजाय पार्टी के पुराने नेता को तरजीह दे रही हैं. अपने भाई को उम्मीदवार बनाए जाने की बातों का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी में परिवारवाद का कोई स्थान नहीं है. उन्होंने भाई की उम्मीदवारी के बारे में बताया कि यह मीडिया का फैलाया हुआ भ्रम जाल था.

राज्यसभा उम्मीदवार की घोषणा करते हुए मायावती ने भीमराव अंबेडकर का सभी से परिचय कराया. भीमराव ने पार्टी प्रमुख का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें इस जिम्मेदारी के लिए चुना गया है.भीमराव अंबेडकर ने 2007 में इटावा की लखना सीट पर चुनाव जीता था. 2017 में भी उन्होंने औरेया से चुनाव लड़ा था, लेकिन वे हार गए.

वह औरेया जिले के सैनपुर गांव के रहने वाले हैं. पेशे से वकील भीमराव शुरू से ही बीएसपी से जुड़े रहे हैं और कई पदों पर रह चुके हैं.मायावती ने पिछले साल सहारनपुर हिंसा के बाद राज्‍यसभा से इस्‍तीफा देकर सबको हैरान कर दिया था. उसके बाद उनके फूलपुर से चुनाव लड़ने के बारे में कयास लगाए जाते रहे लेकिन उपचुनाव में पार्टी के नहीं उतरने की पुरानी रणनीति का हवाला देते हुए इन संभावनाओं को खारिज कर दिया गया.

यूपी में 10 राज्यसभा की सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं. वर्तमान 403 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को 325, सपा के 47, बसपा 19 और कांग्रेस के 7 सदस्य हैं. मायावती ने कहा कि उनके पास इतने सदस्य नहीं है कि वह अपना कोई सदस्य राज्यसभा भेज सकें और सपा के पास भी इतना आकंड़ा नहीं कि वह अपने दो लोगों को राज्यसभा भेज सके.

राज्यसभा के बदले मायावती विधान परिषद में सपा को समर्थन देंगी.23 मार्च को 58 सीटों पर राज्‍यसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इनमें से 10 राज्‍यसभा सीटें यूपी की हैं. राज्‍य में बीजेपी के 325 विधायकों के कारण इनमें से 8 सीटें पार्टी को मिलनी तय हैं. बाकी दो सीटों में से एक पर बीएसपी की निगाह है. बीएसपी के पास लेकिन केवल 19 विधायक हैं और इनकी बदौलत राज्‍यसभा में पहुंचना संभव नहीं है.

क्योंकि यूपी राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक सदस्य को औसतन 37 विधायकों का समर्थन चाहिए. सपा अपना एक सदस्य राज्यसभा भेज सकती है. इसके बाद सपा के पास 10 विधायक बचेंगे. बीएसपी अपने 19, सपा के 10 और कांग्रेस के 7 सदस्य मिलाकर अपना एक सदस्य राज्यसभा भेज सकती है. इसी फार्मूले के तहत मायावती ने सपा से गठबंधन किया है.

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