भाजपा नीतीश कुमार की तुलना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के प्रति अपेक्षाकृत नरम रुख अपनाएगी। ऐसा राजद के मजबूत माय (यादव और मुस्लिम वोट बैंक) समीकरण में सेंध लगाने के लिए किया जाएगा। इस क्रम में भाजपा नीतीश सरकार के कार्यकाल में लालू को अदालत से सुनाई गई सजा का मामला उठाएगी।पार्टी आरोप लगाएगी कि नीतीश की साजिश के कारण ही लालू की चुनावी राजनीति पर ब्रेक लगा। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि इस रणनीति से राजद के यादव वोट बैंक में बिखराव होगा।
कोसी और भागलपुर प्रमंडल में लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर में भी खाता खोलने में नाकामयाब रही भाजपा हाल ही में राजद से निष्कासित हो कर नई पार्टी बनाने वाले सांसद पप्पू यादव से परोक्ष गठबंधन करेगी। पार्टी का मानना है कि पप्पू यादव और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी से तालमेल बिठा कर इस क्षेत्र में सियासी लाभ उठाया जा सकता है।हालांकि भाजपा अब भी यह तय नहीं कर पाई है कि वह मांझी को पार्टी में शामिल करे या फिर उनकी पार्टी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन का रास्ता अपनाए। दरअसल सूबे में यादव और मुसलमान मतदाताओं की हिस्सेदारी 25 फीसदी है। भाजपा को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं लालू-नीतीश के एक साथ आने के बाद यादव और मुसलमान मतदाताओं का एकमुश्त ध्रुवीकरण जदयू-राजद गठबंधन के पक्ष में न हो जाए।
सूबे में पार्टी की रणनीतिक टीम में शामिल एक केंद्रीय मंत्री के मुताबिक चूंकि नीतीश के कार्यकाल में सजा मिलने और इस कारण लालू के लिए चुनावी राजनीति के दरवाजे बंद होने के कारण यादवों के एक वर्ग में नीतीश के खिलाफ नाराजगी है। लालू-नीतीश के साथ आने पर भी यह नाराजगी दूर नहीं हुई है।ऐसे में इस मामले में नीतीश पर ताबड़तोड़ हमला कर पार्टी इस बिरादरी के नाराज वर्ग को साधेगी। चूंकि पार्टी के पास रामकृपाल यादव, हुकुमदेव नारायण यादव और नंद किशोर यादव जैसे मजबूत सियासी चेहरे हैं। इन चेहरों के जरिए इस बिरादरी को साधा जा सकता है।