बिहार उपचुनाव में अररिया और जहानाबाद सीट आरजेडी के खाते में लेकिन भभुआ बीजेपी के खाते में

बिहार में एक लोकसभा और दो विधानसभा सीट के उपचुनाव के नतीजे आए। लालू यादव की पार्टी आरजेडी को अररिया लोकसभा और जहानाबाद विधानसभा सीट पर जीत मिली। वहीं, भभुआ विधानसभा सीट बीजेपी के खाते में गई। दोनों पार्टी तीनों सीटें अपने पास बरकरार रखने में कामयाब रहीं।

इस बार एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला रहा। महागठबंधन से अलग होने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर थी। 11 मार्च को हुई वोटिंग में अररिया में 61%, जहानाबाद में 57.85% और भभुआ में 59.68 % मतदान हुआ था।आरजेडी सरफराज आलम को 5,09,334 और बीजेपी के प्रदीप सिंह को 4,47, 346 वोट मिले।

आलम ने 61,988 वोट से जीत दर्ज की। ये सीट आरजेडी सांसद तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद खाली हुई थी। उन्होंने 2014 में बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह को हराया था।आरजेडी के सुदय यादव ने जेडीयू के अभिराम शर्मा को 30 हजार से ज्यादा वोट से हराया। आरजेडी विधायक मुद्रिका सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई थी। उन्होंने 2015 में रालोसपा के प्रवीन कुमार को हराया था।

 बीजेपी की रिंकी रानी पांडेय ने कांग्रेस के शंभु सिंह पटेल को करीब 14 हजार वोट से हराया। बीजेपी के विधायक आनंद भूषण पांडेय के निधन के बाद खाली हुई थी। पांडेय ने जेडीयू के डॉक्टर प्रमोद कुमार सिंह को शिकस्त दी थी।2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने बिहार में 22 सीट (जेडीयू को 2 सीट मिली थीं) जीती थीं।

मौजूदा वक्त में नीतीश के साथ आ जाने से माना जा रहा था कि बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन आरजेडी पर भारी पड़ सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आरजेडी अपनी अररिया लोकसभा सीट बचाने में कामयाब रही है।यही नहीं आरजेडी ने जहानाबाद और भभुआ में भी बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को कड़ी चुनौती दी है।

बीजेपी भभुआ विधानसभा सीट बचाने में कामयाब रही है। उधर, जहानाबाद में बीजेपी-जदयू गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा है।आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा जो लोग कहते हैं कि लालू जी खत्म हो गए हैं। आज हम उनको कह सकते हैं कि लालू यादव एक विचारधारा का नाम है।

बिहार की जनता और जीतन राम मांझी जी को इस जीत के लिए धन्यवाद देता हूं।जीतन राम मांझी ने कहा बीजेपी को अपने चेहरों की बजाय लोगों के बीच आकर काम करना चाहिए। उनके पास खुद को साबित करने का सिर्फ यही एक रास्ता है, बरना 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यही नतीजा देखना होगा।

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