सुप्रीम कोर्ट ने केरल में शराब बैन को जायज ठहराया है। केरल हाईकोर्ट ने 10 साल के अंदर राज्य को एल्कोहल फ्री करने की पॉलिसी पर रोक लगाने से इनकार किया था। बार मालिकों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। पिछले साल अगस्त में बनी पॉलिसी के मुताबिक, राज्य में सिर्फ फाइव स्टार होटल में ही शराब परोसी जा सकती है।बता दें कि ताड़ के फर्मेंटेशन से बननी वाली शराब को बैन से बाहर रखा गया है। इस तरह से तैयार होने वाली शराब को केरल के कल्चर का हिस्सा बताया गया है।
केरल हाईकोर्ट ने 31 मार्च को दिए अपने फैसले में शराब बैन की पॉलिसी को सही करार दिया था।कोर्ट ने सिंगल बेंच के उस फैसले को भी रद्द कर दिया था जिसमें 4 स्टार बार होटलों में शराब परोसे जाने की बात की गई थी।टू, थ्री स्टार और अनक्लासीफाइड बार ओनर्स ने कोर्ट में अपील की थी।हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि शराब बेचना कहीं से भी फंडामेंटल राइट नहीं है। शराब पर पॉलिसी बनाना पूरी तरह से स्टेट गवर्नमेंट का काम है।
केरल का एक आदमी आम तौर पर सालभर में करीब 8.3 लीटर शराब पी जाता है। यह नेशनल एवरेज से दोगुना है।केरल सरकार एल्कोहल कंजम्प्शन को कम करना चाहती है।एक्सपर्ट्स ने शराब पर बैन के चलते सरकार को करीब 9 हजार करोड़ के रेवेन्यू के नुकसान की बात कही थी।टूरिज्म ऑफिशियल्स ने भी शराब पर बैन लगने से नुकसान की आशंका जताई थी।केरल को टूरिज्म से हर साल करीब 250 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिलता है।