संसद के मानसून सत्र के दौरान सरकार को किसानों का विरोध झेलना पड़ेगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने पूरे मानसून सत्र के दौरान संसद के बाहर रोज प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. करीब 200 किसानों का ग्रुप हर दिन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करेगा.
कृषि कानूनों के विरोध में 40 से ज्यादा किसान संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में पिछले करीब 7 महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों की ओर से कहा गया कि सत्र शुरू होने के दो दिन पहले सदन के अंदर कानूनों का विरोध करने के लिए सभी विपक्षी सांसदों को एक चेतावनी पत्र भी दिया जाएगा.
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा हम विपक्षी सांसदों से भी 17 जुलाई को सदन के अंदर हर दिन इस मुद्दे को उठाने के लिए कहेंगे, जबकि हम विरोध में बाहर बैठेंगे. हम उनसे कहेंगे कि संसद से वॉक आउट कर केंद्र सरकार को फायदा न पहुंचाएं.
जब तक सरकार इस मुद्दे का समाधान नहीं करती तब तक सत्र को नहीं चलने दें. बता दें संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होने जा रहा है.किसान नेता राजेवाल ने कहा कि जब तक वे हमारी मांगें नहीं सुनेंगे, हम संसद के बाहर लगातार विरोध प्रदर्शन करेंगे.
उन्होंने कहा कि प्रत्येक किसान संगठन के 5 लोगों को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए ले जाया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने पेट्रोल, डीजल और एलपीजी सिलेंडर की बढ़ती कीमतों के खिलाफ 8 जुलाई को देशव्यापी विरोध का भी आह्वान किया.
मोर्चा ने लोगों से राज्य के और राष्ट्रीय राजमार्गों पर सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक बाहर आने और अपने वाहन को वहां लगाने को कहा है. राजेवाल ने कहा आपके पास जो भी वाहन है, ट्रैक्टर, ट्रॉली, कार, स्कूटर, बस उसे पास के राज्य या राष्ट्रीय राजमार्ग पर लाएं और वहां पार्क करें, लेकिन ट्रैफिक जाम न लगाएं.
उन्होंने विरोध में एलपीजी सिलेंडर लाने को भी कहा है.कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के हालिया बयान के बारे में एक सवाल के जवाब में राजेवाल ने कहा कि किसान शर्तों के साथ बात नहीं करेंगे.
कृषि मंत्री ने कहा था कि सरकार किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है.राजेवाल ने कहा कि नेता शर्तों के साथ कृषि कानूनों के बारे में बात करना चाहते हैं, हम उनसे बात करने के लिए तैयार हैं लेकिन तभी जब वे कानूनों को निरस्त करने के लिए सहमत हों.
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने एक जुलाई को जोर देकर कहा था कि केंद्र के तीनों कृषि कानून किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे और यह साफ किया कि सरकार इन कानूनों को निरस्त करने की मांग को छोड़कर विरोध करने वाले किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है.