केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डॉक्टरों और विशेष रूप से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के साथ बातचीत कर उन्हें मेडिकल कर्मियों की सुरक्षा का आश्वासन दिया, जिसके बाद आईएमए ने 22 और 23 अप्रैल को प्रस्तावित अपने विरोध प्रदर्शन को वापस ले लिया।
गृह मंत्री ने बैठक के दौरान चिकित्साकर्मियों के काम की सराहना की और उनसे अपील कर कहा कि सरकार डॉक्टरों के साथ है और वे पहले से प्रस्तावित एक प्रतीकात्मक विरोध-प्रदर्शन को भी न करें।
भारत के विभिन्न हिस्सों में डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों पर हुए हमलों की कुछ घटनाओं के मद्देनजर प्रतीकात्मक रूप में यह विरोध-प्रदर्शन किया जाना था।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक बयान में संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि वे सरकार के आश्वासन से आश्वस्त हैं।आईएमए ने कहा ऐसा माना जाता है कि वैश्विक संकट के इस दौर में.. इस तरह के विरोध से हमारे देश की एकता को लेकर बुरा संदेश दुनिया में जाएगा।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि हमारे देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए आईएमए ने 22 के व्हाइट अलर्ट और 23 तारीख के ब्लैक डे के विरोध-प्रदर्शन को वापस लेने का फैसला किया है।
डॉक्टरों के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी बैठक में मौजूद रहे।शाह ने बैठक के बाद ट्वीट कर कहा परीक्षा की इस घड़ी में हमारे डॉक्टर जिस प्रकार से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं वह असाधारण है।
मेरी सभी भारतवासियों से अपील है कि कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में डॉक्टरों का सहयोग करें।शाह ने डॉक्टरों पर हमला करने वालों को कड़ा संदेश देते हुए कहा कार्यस्थल पर डॉक्टरों की सुरक्षा और गरिमा के साथ किसी भी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।”
उन्होंने आगे कहा हर समय उनके लिए अनुकूल माहौल सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। मैंने डॉक्टरों को आश्वासन दिया है कि मोदी सरकार उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। मैंने डॉक्टरों से अपील की है कि वह अपने प्रस्तावित विरोध पर पुनर्विचार करें।