संता की समझदारी!

एक बार संता गाड़ी में अपने दोस्त बंता के साथ पिकनिक पर जा रहा था। गाड़ी के सामने के काँच से बंता को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन संता सड़क के तमाम गड्ढे बचाता हुआ बड़ी सफाई से गाडी चला रहा था।

बंता ने हैरान होकर पूछा, “संता, सामने काँच से कुछ भी साफ़ नजर नहीं आ रहा। फिर भी गाड़ी इतनी परफेक्ट कैसे चला रहे हो?”

संता: क्या बताऊँ यार? अपनी भूलने की आदत के कारण अब तक मेरे 180 चश्मे गुम चुके हैं।

बंता: अरे संता मैं ड्राइविंग के बारे में पूछ रहा हूँ।

संता: वही तो बता रहा हूँ कि चश्मे बनवा बनवा कर मैं परेशान हो गया तब मैंने गाड़ी का काँच ही चश्मे के नंबर वाला बनवाकर गाड़ी में लगवा लिया।

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