एक बार रेलवे-स्टेशन पर एक वृद्ध सज्जन बैठे रेल का इंतजार कर रहे थे. वहां संता जी आए और उन वृद्ध आदमी से पूछा.
संता : अंकल, टाइम क्या हुआ है.
वृद्ध सज्जन : मुझे नहीं मालूम.
संता : लेकिन आपके हाथ में घडी तो है. प्लीज बता दीजिए न कितने बजे हैं ?
वृद्ध सज्जन : मैं नहीं बताऊंगा.
संता : पर क्यों ?
वृद्ध सज्जन : क्योंकि अगर मैं तुम्हे टाइम बता दूंगा तो तुम मुझे थैंक्यू बोलोगे और अपना नाम बताओगे. फिर तुम मेरा नाम, काम आदि पूछोगे. फिर संभव है हम लोग आपस में और भी बातचीत करने लगें. हम दोनों में जान-पहचान हो जाएगी तो हो सकता है कि ट्रेन आने पर तुम मेरी बगल वाली सीट पर ही बैठ जाओ.
फिर हो सकता है कि तुम भी उसी स्टेशन पर उतरो जहां मुझे उतरना है. वहां मेरी बेटी, जोकि बहुत सुन्दर है, मुझे लेने स्टेशन आएगी. तुम मेरे साथ ही होगे तो निश्चित ही उसे देखोगे. वह भी तुम्हे देखेगी. हो सकता है तुम दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठो और शादी करने की जिद करने लगो. इसलिए भाई, मुझे माफ करो …..! मैं ऐसा कंगाल दामाद नहीं चाहता जिसके पास टाइम देखने के लिए अपनी घड़ी तक नहीं है.