सहनशीलता की परीक्षा!

एक आदमी ने अपनी पत्नी को सुबह 9 बजे से बैंक की लाइन में खड़ा करवा दिया और खुद ऑफिस चला गया।

शाम को जब वापस आया तो पत्नी से पूछा कि पैसे निकाले या नहीं? तो पत्नी बोली, “धूप में खड़े-खड़े दो बजे बैंक के दरवाजे में घुसी और तीन बजे कैशियर के सामने पहुँची, मुझे खड़ा कर वो चाय पीने चला गया। फिर आधे घण्टे बाद आया और कम्प्यूटर पर बैठ कर बोला, “सॉरी मैडम पैसे नहीं हैं।” 

आपकी कसम मुँह मिर्ची खाये जैसा हो गया, मेरे तो तन-बदन में आग सी लग गई, सारे दिन रोई… परेशान हुई, घर का सारा काम छोड़ कर भूखी-प्यासी इतनी देर खड़ी-खड़ी पाँव तोड़े और आखिर में यह जवाब? पैसे नहीं हैं।” 

पति गुस्सा करता हुआ बोला, “और तुम पागलों जैसी यूँ ही आ गयी? उनका कुछ नहीं कर पायी? मुझ पर तो आज तक 15 बेलन तोड़ चुकी हो, कम से कम एक बेलन उन पर तोड़ आती, उनको भी तो कुछ मालूम पड़ता।” 

पत्नी बहुत ही धीरज से बोली, “बेलन तो आज एक और टूटेगा। पैसा बैंक में नहीं… तुम्हारे खाते में नहीं था।”

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