गब्बर : अरे ओ सांभा। कितना इनाम रखे है रे सरकार हम पर?
सांभा : सर्विस टैक्स के साथ बताऊं या वैट के साथ बताऊं?
गब्बर : अरे तू सिर्फ कीमत बोल, कीमत?
सांभा : कौन सी? होलसेल वाली कीमत या रिटेल वाली कीमत?
गब्बर : अरे मैंने सिर्फ फिगर बताने को कहा है रे मेरे भाई।
सांभा : पर फिगर तो लड़कियों का होता है और मैं तो मर्द हूं।
गब्बर : अबे मर्द, जब 50-50 कोस दूर बच्चा रोता है तो मां कहती है…
सांभा (बीच में टोककर) : कहती है, ‘दूध पी ले बेटा वरना शरीर में कैल्शियम कम होगा।’
गब्बर : गब्बर की दहशत में कैल्शियम कहां से आ गया बे?
सांभा : आया नहीं। वो तो पहले से ही दूध में होता है।
गब्बर : अबे डेयरी, लोग मुझसे थर्र-थर्र कांपते हैं, पता है कि नहीं तुझे!
सांभा : इसमें क्या बड़ी बात है! लोग तो मलेरिया से भी थर्र-थर्र कांपते हैं।
गब्बर : देख सांभा। मैं डाकुओं का सरदार हूं। पुलिस मेरे पीछे है।
सांभा : तो आगे कौन है?
गब्बर : अबे आगे-पीछे छोड़। मैं कहता हूं कि जो डर गया वो मर गया।
सांभा : और जो नहीं डरा वो किधर गया?
गब्बर : अबे, मैं पागल हो जाऊंगा। बस आज मुझे माफ कर दे भाई।
सांभा : तो कल क्या करूं?
गब्बर : अरे कल तू मुझे गोली मार देना।
सांभा : दवाई वाली या टॉफी वाली?
गब्बर : नहींssssss।
सांभा : इतना लंबा ‘नहीं’ नहीं चलेगा, थोड़ा छोटा बोल।
गब्बर : अरे मैं गैंग का सरदार नहीं, मैं डाकू नहीं, मैं कुछ भी नहीं।
सांभा : तो 50 कोस दूर जो बच्चा रो रहा है, उसकी मम्मी से क्या बोलूं?
अब गब्बर कोमा में है ..!