हरियाणा की ताई!

एक बार एक मुक़ददमे में ताई गवाह बणा दी गई। ताई जा कर खड़ी होई, दोनो वकील भी ताई के गाँव के ही थे।

पहला वकील बोला, “ताई तू मन्ने जाने है?”

ताई: हाँ भाई तू रामफूल का है ना, तेरा बापु घणा सूधा आदमी था पर तू निक्कमा एक नम्बर का झूठा। एर झूठ, बोल बोल कर के तूं लोग ने ठगै है। झूठे गवाह बना कर के तू केस जीते से। तेरे से तो सारे लोग परेशान है, तेरी लुगाई भी परेशान हो कर के तन्ने छोड़ गै भाज गी।

वकील बेचारा चुप हो कर के सोचा कि मेरी तो बेज्जती हो गई अब दूसरे की कराता हूँ।

उस वकील ने थोडी देर में दूसरे वकील की तरफ इशारा कर के पूछा, “ताई, तू इसने जाणे से के?”

ताई: हाँ यो फुलीयो काणे का छोरा से इसके बापु ने निरे रपिये खर्च करके इने पढाया पर इसने ‘आंक’ नही सीखा सारी उमर छोरिया क पीछै हांडे गया। इसका चक्कर तेरी बहू से भी था।

कोर्ट में जनता हांसन लाग गी।

जज: आर्डर-आर्डर।

जज ने दोनो वकील बुलाये।

जज: अगर तुम दोनो वकीलो मे से किसी ने भी इस ताई से यो पुछा के “इस जज न जाणे से” तो मैं तुम दोनों को कंटेम्प्ट में अंदर कर दूँगा।

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