अभ्यास करें तो निश्चित ही दुबलेपन से मुक्ति पा सकते हैं। यह मुद्रा रोगमुक्त ही नहीं बल्कि तनाव मुक्त भी करती है। यह व्यक्ति में सहिष्णुता का विकास करती है। रोज इस मुद्रा का सिर्फ पंद्रह मिनट अभ्यास से कोई भी दुबलेपन से छुटकारा पा सकता है।
विधि :-
* वज्रासन की स्थिति में दोनों पैरों के घुटनों को मोड़कर बैठ जाएं,रीढ़ की हड्डी सीधी रहे एवं दोनों पैर अंगूठे के आगे से मिले रहने चाहिए। एड़िया सटी रहें। नितम्ब का भाग एड़ियों पर टिकाना लाभकारी होता है। यदि वज्रासन में न बैठ सकें तो पदमासन या सुखासन में बैठ सकते हैं |
* दोनों हांथों को घुटनों पर रखें , हथेलियाँ ऊपर की तरफ रहें |
* अपने हाथ की अनामिका अंगुली (सबसे छोटी अंगुली के पास वाली अंगुली) के अगले पोर को अंगूठे के ऊपर के पोर से स्पर्श कराएँ |
* हाथ की बाकी सारी अंगुलिया बिल्कुल सीधी रहें ।
रखे कुछ सावधानियां :-
* वैसे तो पृथ्वी मुद्रा को किसी भी आसन में किया जा सकता है, परन्तु इसे वज्रासन में करना अधिक लाभकारी है, अतः यथासंभव इस मुद्रा को वज्रासन में बैठकर करना चाहिए
समय व अवधि :-
*पृथ्वी मुद्रा को प्रातः – सायं 24-24 मिनट करना चाहिए | वैसे किसी भी समय एवं कहीं भी इस मुद्रा को कर सकते हैं।
अन्य चिकित्सकीय लाभ :-
* जिन लोगों को भोजन न पचने का या गैस का रोग हो उनको भोजन करने के बाद 5 मिनट तकवज्रासन में बैठकर पृथ्वी मुद्रा करने से