भरोसा जीतने के लिए अपनाओ इन उपायों को

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वैसे हर कोई चाहता है कि उसे भरोसेमंद माना जाए।कंपनियां चाहती हैं कि आप उन पर भरोसा करें। सहयोगियों को अपना काम कराने के लिए आपके भरोसे की ज़रुरत होती है।कई मायनों में ये भरोसा ही है जो हमें आपस में जोड़ता है। हमारे बीच संवाद को बढ़ता है, जिससे काम अच्छे से होता है। हम ऑनलाइन ईबे जैसी शापिंग साइट से समान खरदीते हैं और भुगतान करते हैं।।।।ये सब कुछ सिर्फ भरोसे के सहारे ही चलता है।हम उबर जैसे सेवा का इस्तेमाल करते हुए दूसरों की कार का इस्तेमाल करते हैं या फिर एयरबीएंडबी (बेड एंड ब्रेकफ़ास्ट) के ज़रिए कोई अपरिचित गेस्ट भी हमारे घर में ठहरता है, तो यह सब भरोसे के चलते ही होता है।

हम फिटबिट या फिर एप्पल जैसी कंपनियों को अपनी सारी निजी जानकारी देते हैं, यही मानकर कि हमारी जानकारी उनके पास सुरक्षित रहेगी।हम दफ़्तरों में अलग अलग टीमों के साथ काम करते हैं और अपने साथियों पर भरोसा करते हैं कि हम सब अच्छा काम करेंगे।हर बार जब हम किसी दूसरे से बात करते हैं तो ये मानते हैं कि वो भरोसेमंद होगा। लेकिन केवल अच्छी नीयत भर से भरोसा हासिल नहीं होता, इसके लिए आपको काफी मेहनत करनी होती है।

किसी भी कंपनी के लिए विश्वसनीयता हासिल करना उनके डीएनए में शामिल होता है। ये केवल बातों से ज़ाहिर नहीं होगा बल्कि कंपनी के बोर्ड रूम से लेकर एक्जीक्यूटिव टीम तक, फैक्टरी के फ्लोर से लेकर रिसेप्शन तक वे आपको अपने भरोसेमंद होने का एहसास कराते हैं।कंपनियों को भरोसेमंद लोगों की ही तलाश भी होती है। ऐसे में आप कैसे साबित करेंगे कि आप भरोसेमंद हैं? इसको लेकर चार मुख्य बाते हैं जो कारोबार से लेकर व्यक्तिगत मसलों पर एकसमान लागू होती हैं।आपका काम आपके शब्दों से कहीं ज्यादा प्रभावी होता है। केवल ये कहना है कि मेरा भरोसा कीजिए या फिर इस मिशन में सावधानी से जुटना भर पर्याप्त नहीं होता।

बड़े संकेतों या हावभाव की पहचान करना आसान होता है, लेकिन समय के साथ आपकी छोटी छोटी बातें कहीं ज्यादा प्रभाव डालती हैं।व्यक्तिगत तौर पर, समय का पाबंद होना, मीटिंग के डेडलाइन का ख्याल रखना, सवालों के सीधे जवाब देना, ऐसी चीजें है जिनका आपके सहयोगी और उपभोक्ता दोनों पर गहरा असर होता है।यही चीजें कारोबार पर भी लागू होती हैं। आप अपने कारोबारी प्रतिबद्धताओं के अलावा कारोबारी संबंधों के प्रति स्पष्ट हों और दिन प्रतिदिन इस तरह से व्यवहार करें जिससे लगे कि आपकी संस्था सम्मानीय है।

भरोसा हासिल करने के रास्ते में गोपनीयता या फिर स्वांग करना सबसे बड़ी बाधा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कारोबार में कुछ चीज़ों को गोपनीय रखना होता है।लेकिन ऐसे तरीके होते हैं जिनके ज़रिए कंपनियां गोपनीय जानकारी लीक किए बिना अपने काम को कर सकती हैं।अगर आप चाहते हैं कि लोग या फिर आपकी कंपनी आप पर भरोसा करे तो आप कम से कम वैसी जानकारी शेयर करना चाहेंगे जो आपके फ़ैसले के पक्ष में हो।सवालों के गरिमापूर्वक जवाब देने से और लोगों को सवाल पूछने की इजाजत देने से उनका भरोसा आपके प्रति बनता है।

लेकिन अगर आप आक्रामक ढंग से जवाब दें या फिर रक्षात्मक तरीके से बार-बार पूछें कि क्या आप मुझ पर भरोसा करते हैं, तो ग़लत संकेत जाएगा।दूसरा शख्स ऐसे में सही या ग़लत कोई भी फ़ैसले ले सकता है या फिर सोच सकता है कि शायद आप कुछ छिपा रहे हैं।बोर्ड में जब कोई सदस्य जांच के अंदाज़ में सवाल पूछता है तो वह अच्छे ढंग से समझा कर पूछता है। वहीं जब उपभोक्ता ऐसा करते हैं तो ऐसा ज़ाहिर करते हैं कि वे उस उत्पाद या सेवा के बारे में काफी कुछ जानते हैं।

भरोसे को फिर से बनाने की कोशिश में पारदर्शिता बेहद अहम होती है। उदाहरण के लिए हाल ही में ब्रिटेन और अनेक अन्य जगहों पर बैंकिंग सेक्टर ने सुधार के लिए काफी घोषणाएं कर दीं। लेकिन उनमें से बहुत सारी घोषणाएं पूरी नहीं हुईं।हमने ये भी देखा कि किस तरह एचएसबीसी बैंक ने अपने उपभोक्ताओं को कथित तौर पर कर भुगतान से बचने की सलाह दी। इस तरह के व्यवहार से कंपनी की साख को धक्का पहुंचता है, उसकी विश्वसनीयता संदिग्ध होने लगती है।लोग लगातार बेहतर काम होते हुए देखना चाहते हैं। वे ये भी देखना चाहते हैं कि गड़बड़ियों के लिए ज़िम्मेदार लोगों के बारे में क्या कार्रवाई हुई। वह बदलाव देखना चाहते हैं, तब जाकर लंबे समय में आप भरोसा हासिल कर पाते हैं।

एक समय था जब कारोबारी लीडर ये सोचते हैं कि अंत से ही औचित्य साबित हो जाता है।जब तक कंपनियां अपने निवेशकों को बेहतर परिणाम दे रही थीं और बाकी चीजें भी ठीक थीं, तब तक वे इस बात की परवाह नहीं करते थे कि परिणाम हासिल करने में पर्यावरण का नुकसान तो नहीं हो रहा, या फिर श्रमिकों को कम वेतन तो नहीं मिल रहा या फिर प्रशासन खराब तो नहीं है। सब कुछ चल जाता था।लेकिन अब ना तो उपभोक्ता, ना ही क्लाइंट और ना ही समाज इसे स्वीकार करने के लिए तैयार है। कंपनियों को अब विश्वसनीयता हासिल करने के लिए अच्छे कारपोरेट नागरिक के तौर पर व्यवहार करना पड़ रहा है और अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारियों को भी निभाना पड़ रहा है।

निवेशक, उपभोक्ता, क्लाइंट और साझेदार इस बात की बेहद चिंता करते हैं कि आप श्रमिकों के साथ कैसा बर्ताव करते हैं।चाहे वो एप्पल का फॉक्सकॉन से जुड़ा मसला हो या फिर यूरोप में स्टार बक्स और मैकडोनाल्ड का अपने हिस्से का कर न चुकाना हो, ये स्पष्ट हो गया है।यही सब बातें व्यक्तिगत व्यवहार के लिए भी सहीं हैं। अपने सहयोगियों और क्लाइंट को सम्मान देकर ही आप आगे बढ़ सकते हैं। अगर कोई अनैतिक व्यवहार कर आगे बढ़ता है तो भी उसे जल्द ही मालूम हो जाता है कि समाज का कोई समूह भी उसका साथ देने को तैयार नहीं होगा।

ये बेहद सीधा मसला है। अगर आप कुछ भी ग़लत करते हैं तो उसकी ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए। व्यक्ति के तौर पर भी और कारोबार के तौर पर भी। ये बेहद सामान्य सी बात है।अगर कोई शख्स या फिर संस्था अपनी ग़लती मान लेती है तो लोग अमूमन माफ़ कर देते हैं। ग़लती को सुधारने की कोशिश भी होनी चाहिए। स्पष्टता और पारदर्शिता से काम करना चाहिए, इससे भरोसा बढ़ता है।

उद्देश्य और नीयत से आप योजनाएं बना सकते हैं लेकिन आपका पारदर्शी और ठोस काम ही आपके प्रति भरोसे को बढ़ाता है। चाहे वो सहयोगियों के साथ विश्वास का मज़बूत रिश्ता हो या फिर उपभोक्ताओं का लंबे समय तक मिलने वाला साथ।

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