शरीर को बलवान बनाने के लिए इन का सेवन करें

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* मुरझाए हुए मुंह और नपुसकता की दवाइयों की तलाश मेँ भटकते नौजवानों के सुस्त शरीर के लिए दिव्य आयुर्वेदिक चूर्ण है..!

* जिसको आयुर्वेद पर शक हो इस चूर्ण का इस्तेमाल कर देखे आप भी दांतोँ तले उंगली दबा लेंगे…!

चूर्ण बनाने की विधि:-

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कोंच के बीज शुद्ध- 50 ग्राम

असगंध- 50 ग्राम

विदारीकन्द- 50 ग्राम

मूसली- 50 ग्राम

मोचरस- 50 ग्राम

गोखरू- 50 ग्राम

जायफल- 50 ग्राम

उडद की दाल- 50 ग्राम (घी में भुनी हुई )

बंशलोचन- 50 ग्राम

सेमर के फूल- 50 ग्राम

खरेंटी- 50 ग्राम

सतावर- 50 ग्राम

भांग- 50 ग्राम ( पानी से धुली हुई )

मिश्री- 700 ग्राम

* इन सभी उपरोक्त सामान  को कूटकर छान ले ओर आपस में मिक्स करके काच के बर्तन में ढक्कन लगाकर रख ले .

मात्रा और अनुपान:-

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* प्रातः और रात्री में सोने से एक घंटा पहले तीन से छह ग्राम पानी से या गाय के दूध से ले.

गुण ओर उपयोग:-

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* यह चूर्णपोष्टिक ,रसायन ओर वाजीकरण है… !

* इसकेसेवन से बल ओर वीर्य की वृद्धि होती है तथा प्रमेह का नाश होता है….!

* अधिक स्त्री प्रसंग या छोटी अवस्था में अप्राकृतिक ढंग से शुक्र (वीर्य)का ज्यादा दुरूपयोग करने से शुक्र पतला हो जाता है तथा शुक्रवाहिनी शिराएं भी कमजोर हो जाती है ओर फिर वे शुक्र धारण करने में असमर्थ हो जाती है जिसके परिणाम स्वरूप स्वप्नदोष,शीघ्रपतन,वीर्य का पतला पन,पेशाब के साथ ही वीर्य निकल जाना आदि विकार उत्पन्न हो जाते है इन विकारों को दूर करने के लिए आप इस चूर्ण का उपयोग करना आपके लिए हितकर है क्योंकि यह शुक्र की विकृति को दूर कर वीर्य को गाढ़ा करता है ओर शरीर में बल बढाता है

आयुर्वेद की इस औषधि के सेवन से निम्नांकित फायदे होते हैं:-

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*  यह पौष्टिक चूर्ण है , इसके शरीर की पुष्टता बढाता है

* यह रसायन गुण युक्त है इसलिये यह चूर्ण आयुर्वेदोक्तसप्त धातुओं की रक्षा करके रस , रक्त , मान्स , मेद , अस्थि , मज्ज , और शुक्र धातुओं की वृधि करता है

* यह बाजीकरण योग है इसलिये यह कमजोर मनुष्यों को सम्भोग करने के लिये अधिक वीर्य उत्पादन के लिये समर्थ वान बनाता है

* डायबिटीज के रोगियों के लिये यह चूर्ण किसी वरदान से कम नही है तथा  डायबिटीज के रोगियों की सम्भोग अथवा मैथुन करने की क्षमता कमजोर हो जाती है तो आप  इस चूर्ण के सेवन करने से डायबिटीज के रोगियों को दोतरफा फायदा होता है  इससे प्रमेह की शिकायत भी दूर होती है

* जिनका शुक्र , हस्त मैथुन या अन्य अप्राकृतिक तरीके अपनाने के बाद पानी जैसा पतला हो गया हो , इस चूर्ण के सेवन करने से वीर्य शुद्ध  होकर गाढ़ा और प्राकृतिक हो जाता है

* जिनके वीर्य  में कोई भी विकृति हो , शुक्राणु  कम हों या स्पेर्म न बन रहे हों , उन्हें इस औशधि का उपयोग जरूर करना चाहिये

* इस चूर्ण  को सभी प्रकार के शुक्र दोषों में उपयोग किया जा सकता है

* शरीर की साधारण स्वास्थ्य सुरक्षित रखने और शक्ति संचार को स्थाई बनाये रखने के लिये तथा कु-पोषणसे पीड़ित रोगियों के लिये यह एक लाभकारी औषधि है

नोट :-आप के लिए पूरे जाड़े में सेवन करने के लिए उपयुक्त चूर्ण है ..! गर्मी में इसकी मात्रा आधी ले और दूध आधा लीटर गाय का हो तो उत्तम है .

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