तगर है अनेक रोगों में लाभकारी जाने कैसे ?

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* सिर और मज्जा तन्तुओं की खराबी से पैदा हुए मधुमेह और बहुमूत्र में तगर के ताजे फल को लगभग चौथाई ग्राम से एक ग्राम की मात्रा तक दिन में दो या तीन बार सेवन करने से लाभ मिलता है। यह सिर के रोग, उन्माद, अपस्मार (मिर्गी), विष के विकारों और मधुमेह (शूगर) रोग को ठीक करने में उपयोगी होता है।

* तगर का 1 से 3 ग्राम चूर्ण या 50 से 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर काढ़ा बना लें। इसका सेवन करने से मासिकधर्म नियमित हो जाता है। यह नींद को लाता है और पुराने प्रमेह को ठीक करता है।

* तगर को थोड़ी मात्रा में सेवन करने से रक्तसंचारण क्रिया तेज होती है। तगर को बारीक पीसकर गर्म पानी में मिलाकर छानकर सेवन करने से हृदय की शक्ति और नाड़ी की शक्ति में वृद्धि होती है। ज्यादा मात्रा में यह नुकसानदायक होता है।

*तगर के पत्तों को पीसकर आंखों के बाहरी हिस्सों में लेप करने से आंखों का दर्द बंद हो जाता है।

* तगर की जड़ (मूल) को कूटकर उसमें 4 भाग पानी व बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर धीमी आग पर पकाएं तथा इसके बाद इसे छानकर सेवन करने से सभी प्रकार के स्नायु शूल व नसों की कमजोरी दूर होती है।

* तगर को यशद की राख के साथ सेवन करने से गठिया, पक्षाघात, कण्ठ के रोग व सन्धिवात आदि रोग ठीक हो जाते हैं।छाती के हडि्डयों की जोड़ के दर्द में तगर की हरी जड़ की छाल की तीन ग्राम मात्रा को छाछ में पीसकर पीना चाहिए।

* पुराने जख्मों (घावों) और फोड़ों पर इसका लेप करने से जख्म जल्दी भरकर ठीक हो जाते हैं।

* लगभग 25 मिलीग्राम से 900 मिलीग्राम तगर का चूर्ण बनाकर रोगी को सुबह और शाम को देने से भ्रम रोग दूर हो जाता है।

* तगर, सेंधानमक, कटेरी, कूठ और देवदारु को मिलाकर तिल के तेल में पकाकर मिश्रण बना लें, फिर इसी तेल में भिगी हुई रुई का फोहा बनाकर योनि में रखने से योनि का दर्द शांत हो जाता है।

* लगभग 250 मिलीग्राम ग्राम से 900 मिलीग्राम तगर के चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ लेने से घबराहट दूर हो जाती है इसके अलावा मानसिक अशांति खत्म हो जाती है।

* हाथ-पैर की ऐंठन को दूर करने के लिए लगभग 150 मिलीग्राम तगर का सेवन करने से लाभ मिलता है।

* लगभग 2 ग्राम तगर को ठंडे पानी में पीसकर 1 महीने तक प्रतिदिन सुबह पीने से हिस्टीरिया और मिर्गी का रोग ठीक हो जाता है।

* लगभग 250 से 900 मिलीग्राम तगर के चूर्ण को यशद भस्म के साथ सुबह-शाम सेवन करने से कम्पवात ठीक होता है

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