HOMEMADE REMEDIES FOR PARALYSIS । लकवा के घरेलू उपचार के बारे में जानिए

HOMEMADE REMEDIES FOR PARALYSIS :- पैरालिसिस यानि कि लकवे की बीमारी आजकल काफी सुनने को मिलती है। किसी की पूरी बॉडी पैरालिसिस का शिकार हो जाती है तो किसी की आधी बॉडी इस बीमारी के चपेट में आ जाती है। कुछ लोगों के शरीर के किसी विशेष अंग को भी पैरालिसिस हो जाता है। लेकिन ये पैरालिसिस क्या है और इसके होने के क्या कारण हैं, क्या आपने कभी जाना है? पैरालिसिस जिसे हम लकवा से भी जानते है ये बीमारी से शरीर की शक्ति कम हो जाती है उस मरीज को घुमाना -फिराना मुश्किल हो जाता है.

लकवा तब होता है जब अचानक दिमाग में लोही (ब्लड) पहोचना बंध या फिर दिमाग की कोई लोही की नली फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकओं के आस पास की जगह पर खून जम जाता है.क्या आप जानते है की लकवा किस-किस को हो सकता है किसी को भी ये बीमारी हो सकती है परंतु जयादा इस रोग आदमिमे दिखाई देता है और ५५ साल की उम्र में ये बीमारी ज्यादा नजर में आती है यह आधे चेहरे पर ही अपना असर दिखाती है .

लेकिन तुरंत इलाज के द्वारा इस बीमारी से बच सकते है .लकवा एक गम्भीर रोग है| इसमें शरीर का एक अंग मारा जाता है| रोगी का अंग विशेष निष्क्रिय हो जाने के कारण वह असहाय-सा हो जाता है| उसे काम करने या चलने-फिरने के लिए दूसरे के सहारे की जरूरत होती है|

पक्षाघात (लकवा) का कारण :- जब शरीर के किसी भाग में खून उचित मात्रा में नहीं पहुंच पता है तो वह स्थान (अंग) सुन्न हो जाता है| यही लकवा है| इसके अलावा जो व्यक्ति अधिक मात्रा में वायु उत्पन्न करने वाले या शीतल पदार्थों का सेवन करते हैं, उनको भी यह रोग हो जाता है| यह रोग रक्तचाप के बढ़ने, मर्म स्थान पर चोट पहुंचने, मानसिक दुर्बलता, नाड़ियों की कमजोरी आदि कारणों से भी हो जाता है| यह तीन प्रकार का होता है – सारे शरीर में पक्षाघात, आधे शरीर में पक्षाघात और केवल मुख का पक्षाघात| 

पक्षाघात (लकवा) की पहचान :- यह रोग पुरे शरीर या आधे शरीर की नाड़ियों और छोटी नसों को सुखा देता है जिसके कारण खून का संचार बंद हो जाता है| सिंधियों तथा जोड़ों में शिथिलता आ जाती है| अत: विशेष अंग बेकार हो जाता है| रोगी स्वयं उस अंग को चिलाने, फिराने या घुमाते में असमर्थ रहता है| यदि लकवा मुख पर गिरता है तो रोगी के बोलने की क्षमता कम हो जाती है या बिलकुल नहीं रहती| आंख, नाक, कान आदि विकृत हो जाते हैं| दांतों में दर्द होने लगता है| गरदन टेढ़ी हो जाती है| होंठ नीचे की तरफ लटक जाते हैं| चमड़ी पर नोचने से भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता|

पक्षाघात (लकवा) के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं: – तुलसी :- तुलसी के पत्तों को उबालकर उसकी भाप से रोगी के लकवाग्रस्त अंगों की सेंकाई करनी चाहिए|

तुलसी, अफीम, नमक और दही :- तुलसी के पत्ते, अफीम, नमक और जरा-सा दही-इन सबका लेप बनाकर अंगों पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद लगाएं|

कलौंजी :- कलौंजी के तेल की मालिश लकवे के रोगी के लिए रामबाण है|

आक :- आक के पत्तों को सरसों के तेल में उबालकर शरीर पर मालिश करें|

सरसों :- कबूतर का खून सरसों के तेल में मिलाकर रोगी के शरीर पर मलें|

तिली और कालीमिर्च :- तिली के तेल में थाड़ी-सी कालीमिर्च पीसकर मिला लें| फिर इस तेल की मालिश लकवे के अंगों पर करें|

सोंठ, पानी और उरद :- सोंठ और उरद (साबुत) – दोनों को 200 ग्राम पानी में उबालें| फिर पानी को छानकर दिन में चार-पांच बार पिएं|

पानी :- पानी में शहद डालकर रोगी को दिनभर में चार-पांच बार पिलाएं| लगभग 100 ग्राम शहद प्रतिदिन रोगी के पेट में पहुंचना चाहिए|

अजमोद, सौंफ, और बालछड़, नकछिनी :- अजमोद 10 ग्राम, सौंफ 10 ग्राम, बबूना 5 ग्राम, बालछड़ 10 ग्राम तथा नकछिनी 20 ग्राम – सबको कूट-पीसकर पानी में डालकर काढ़ा बना लें| फिर इसे एक शीशी में भरकर रख लें| इसमें से चार चम्मच काढ़ा प्रतिदिन सुबह के समय सेवन करें|

सरसों :- सरसों के तेल में थोड़े से धतूरे के बीज डालकर पका लें| फिर उस तेल को छानकर अंग विशेष पर मालिश करें|

दूध, सोंठ और दालचीनी :- दूध में एक चम्मच सोंठ और जरा-सी दालचीनी डालकर उबाल लें| फिर छानकर थोड़ा-सा शहद डालकर सेवन करें|

लहसुन और मक्खन :- लहसुन की चार-पांच कलियां पीसकर मक्खन में मिलाकर सेवन करें|

छुहारा :- छुहारा या सफेद प्याज का रस दो चम्मच प्रतिदिन पीने से पक्षाघात के रोगी को काफी लाभ होता है|

पक्षाघात (लकवा) में क्या खाएं क्या नहीं :– पक्षाघात के रोगी को गेहूं की रोटी, बाजरे की रोटी, कुलथी, परवल, करेला बैंगन, सहिजन की फली, लहसुन, तरोई आदि देनी चाहिए| फलों में पपीता, आम, फालसा, अंजीर, चीकू आदि बहुत लाभदायक है| दूध का उपयोग सुबह-शाम दोनों वक्त करना चाहिए| चावल, दही, छाछ, बर्फ की चीजें, तले हुए पदार्थ, दालें, बेसन, चना आदि नहीं खाना चाहिए| वायु उत्पन्न करने वाले फल तथा साग न खाएं|

शरीर पर सरसों का तेल, विषगर्भ तेल, तिली का तेल, निर्गुण्डी का तेल, बादाम का तेल या अजवायन का तेल मालिश के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए| यदि रक्तचाप बढ़ा हुआ हो तो सर्पगंधा नामक जड़ी खानी चाहिए| एरण्ड का तेल, चोपचीनी का चूर्ण तथा हरड़-बहेड़ा-आंवला (त्रिफला) भी पक्षाघात के रोगी के लिए बहुत लाभदायक है|

 

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