HOMEMADE REMEDIES FOR HEART DISEASE । हृदय रोग के घरेलू उपचार के बारे में जानिए

HOMEMADE REMEDIES FOR HEART DISEASE :- हृदय रोग से ज्यादातर वे लोग पीड़ित होते हैं जो दिनभर गद्दी पर बैठे रहते हैं और हर समय अनाप-शनाप खाते-पीते हैं| इस रोग के शुरू में साधारण दर्द होता है| फिर धीरे-धीरे रोग बढ़ जाता है जो सम्पूर्ण हृदय को जकड़ लेता है| यह रोग होने पर बड़ी बेचैनी रहती है| अचानक हृदय में पीड़ा उठती है और फिर सारा शरीर जकड़ जाता है| रोगी की सांस रुक-रुककर बड़ी तेजी से चलने लगती है| बेचैनी के साथ-साथ हाथ-पैरों में शिथिलता शुरू हो जाती है| यदि तुरन्त इस दौरे की चिकित्सा नहीं की जाती तो रोगी की मृतु तक हो सकती है|

हृदय रोग का कारण :- बहुत ज्यादा गरम, गरिष्ठ, खट्टे, कड़वे एवं कसैले पदार्थों का निरंतर सेवन करने, अधिक मेहनत करने या बिलकुल शारीरिक श्रम न करने, मर्म स्थान में अचानक गहरी चोट लगने, अधिक तथा बार-बार भोजन करने, मेदे से निकलने वाले वेगों एवं मल-मूत्र को रोकने, अत्यधिक चिन्ता, भय, शोक, घबराहट, वायु के दूषित रोगों आदि के कारण हृदय रोग पैदा हो जाता है|

हृदय रोग की पहचान :- हृदय का रोग होने पर दिल में दर्द रहने लगता है| दर्द शुरू होने पर लगता है, जैसे कोई भारी चीज से दिल में चोट कर रहा हो| ऐसे में प्यास अधिक लगती है| माथे पर पसीना आ जाता है| मुख सूख जाता है और कंठ से धुआं-सा निकलता है| हृदय में भारीपन मालूम पड़ता है| सांस तेजी से चलने लगती है|

कई बार रोगी की सारी इन्द्रियां ज्ञानशून्य हो जाती हैं| चक्कर आने के बाद रोगी बेहोश हो जाता है| अत्यधिक बेचैनी तथा घबराहट बढ़ जाती है| जी मिचलाता है और कभी-कभी उलटी भी हो जाती है| हाथ-पैर ठंडे पड़ जाते हैं, नब्ज धीरे-धीरे चलती है और रोगी को अपनी मृत्यु दिखाई देने लगती है|

हृदय रोग के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं :-मुलहठी और पानी :- मुलहठी का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में गरम पानी के साथ लेने पर हृदय रोग में काफी लाभ होता है|

चना :- हृदय रोगियों को काले चने उबलवाकर खाते रहना चाहिए|

गाय का दूध और सोंठ :- गाय के दूध में सोंठ डालकर पीते रहें|

अर्जुन वृक्ष, दूध, शक्कर और गुड़ :- अर्जुन वृक्ष की छाल सुखाकर चूर्ण बना लें| इसमें से 10 ग्राम चूर्ण दूध में डालकर उबालें| फिर इस दूध में शक्कर की जगह गुड़ मिलाकर सेवन करें|

अजवायन, पानी और सेंधा नमक :- एक चम्मच अजवायन को एक कप पानी में डालकर औटने के लिए रख दें| जब पानी जलकर आधा कप रह जाए तो छानकर एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर रात को सहता-सहता पिएं|

शहद :- शहद का अधिक प्रयोग करने से हृदय बलशाली बनता है तथा खून के विकारों को विराम मिलता है| इससे हृदय रोग धीरे-धीरे दूर हो जाता है|

गुलाबजल, गुलाब, धनिया और पानी :- गुलाबजल 10 ग्राम, गुलाब की पंखुडियां 3 ग्राम तथा धनिया 5 ग्राम – सबको पीसकर अच्छी तरह मिलाकर गुनगुने पानी के साथ सेवन करें|

करौंदा :- करौंदे का मुरब्बा, रस, चटनी आदि हृदय रोग को दूर करते हैं|

दालचीनी, बंसलोचन, धनिया, गुलाब, मिश्री और गाय या बकरी का दूध :- दालचीनी, बंसलोचन, धनिया तथा सूखा गुलाब – सबको बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें| अब इसमें मिश्री पीसकर मिलाएं| 5 ग्राम चूर्ण नित्य गाय या बकरी के दूध के साथ सेवन करें|

अनार :- अनार का शरबत पीते रहने से हृदय रोग कम होता जाता है|

जायफल, जावित्री, दालचीनी, शहद और अकरकरा :- जायफल, जावित्री, दालचीनी तथा अकरकरा – इन सबको 10-10 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें| इसमें से 4 ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर नित्य सुबह-शाम भोजन के साथ लें|

सोंठ और चीनी :- हृदय रोग में फालसे के रस में सोंठ तथा चीनी मिलाकर पीना चाहिए|

आंवला और सेंधा नमक :- रोज चार चम्मच आंवले का रस जरा-से सेंधा नमक के साथ सेवन करें|

अंगूर :- हृदय का दौरा पड़ने पर अंगूर का रस चम्मच से बार-बार देना चाहिए|

हींग और पानी :- दिन में दो बार थोड़ी-सी हींग पानी में घोलकर सेवन करें| हींग रक्त को जमने नहीं देती तथा रक्त संचार ठीक रखती है|

बैंगन :- बैंगन को कुचलकर उसका चार चम्मच रस नित्य पिएं| बैंगन की सब्जी हृदय रोगी के लिए बहुत लाभदायक है|

अमरूद :- अमरूद को भूनकर खाने से हृदय की कमजोरी दूर होती है|

बेल, घी और शहद :- बेल के ताजे पत्तों को पीसकर चटनी बना लें| फिर उसमें घी तथा थोड़ा-सा शहद मिलाकर लगभग 40 दिनों तक सेवन करें|

बथुआ :- लाल बथुए की सब्जी खाने से हृदय का दौरा नहीं पड़ता|

आलू और सेंधा नमक :- कच्चे आलू का चार चम्मच रस जरा-सा सेंधा नमक डालकर पिएं|

आंवला और चांदी :- आंवले के मुरब्बे में चांदी का वर्क लगाकर नित्य सेवन करें|

तुलसी :- गले में तुलसी की माला पहहने से हृदय रोगियों को लाभ होता है|

गाजर और दूब :- आधा कप गाजर का रस लेकर उसमें 3 ग्राम की मात्रा में दूब कुचलकर डालें| नित्य भोजन के बाद इसका सेवन करें|

केला और चूना :- पके हुए केले के बीच में जरा-सा खाने वाला चूना रखकर खाएं| तीन केले नित्य खाने से हृदय को काफी बल मिलता है|

लहसुन और पानी :- लहसुन के चार बूंद रस में पानी मिलाकर कुछ दिन तक नित्य सेवन करें|

कपास और पानी :- कपास के फूलों को पानी में मसल-छानकर उस पानी को पिएं|

अदरक और शहद :- अदरक तथा शहद का सेवन हृदय रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है|[/list]

हृदय रोग में क्या खाएं क्या नहीं :- हृदय रोगियों को घी-मक्खन इत्यादि नहीं खाना चाहिए| इसी प्रकार जमा हुआ वनस्पति घी या तेल भी हानिकारक है| मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, बिनौले, तिल तथा सरसों का शुद्ध तेल प्रयोग करें| परन्तु ये तेल कम मात्रा में लें| तली हुई चीजें तथा ‘फास्ट फूड’ कभी न खाएं|

सिगरेट, शराब, चाय और कॉफी हृदय रोगियों के लिए विष के समान है| शराब हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाती है| इसलिए थकावट दूर करने के लिए भी इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए|

हृदय रोग का योगासन :- हृदय रोगियों को मानसिक तनाव जहां तक हो सके, कम रखना चाहिए| जीवन में संतोष की मात्रा बढ़ानी चाहिए| महत्त्वकांक्षा और संतोष में सन्तुलन रखने की कोशिश करनी चाहिए| कभी-कभी ईश्वर की इच्छा पर विश्वास करना बड़ा सहायक होता है| हल्के योगासन जैसे – सांस खींचना, रोकना तथा छोड़ना – तनाव को कम करता है| हंसी का वातावरण भी बहुत जरूरी है|

हृदय रोग का व्यायाम :- रोज पैदल चलना हृदय रोगियों के लिए नुस्खों का काम करता है| परन्तु खाना खाने के बाद नहीं चलना चाहिए| इससे हृदय पर काफी दवाब पड़ता है| हल्का व्यायाम ऐसे रोगियों के लिए लाभदायक है| यदि घर में किसी को हृदय रोग हुआ हो या जो मानसिक तनाव और मोटापे से ग्रस्त रहे हों, उनके अनुभवों से लाभ उठाना चाहिए|

शरीर में तेल मालिश करके स्नान करना चाहिए| इससे रक्तचाप की व्याधि नहीं सताती| कभी-कभी छाती पर हाथ रखकर हृदय की गति की पहचान करनी चाहिए| आधुनिक जांचों से भी लाभ उठाने में कोई हर्ज नहीं है| इस प्रकार यदि इन सब उपायों और साधनों को काम में लाया जाए तो काफी हद तक हृदय रोग से बचा जा सकता है|

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