HOMEMADE REMEDIES FOR ASTHMA । दमा के घरेलू उपचार के बारे में जानिए

HOMEMADE REMEDIES FOR ASTHMA :- अस्थमा कहे या हिन्दी में दमा ये श्वसन तंत्र की बीमारी है जिसके कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि श्वसन मार्ग में सूजन आ जाने के कारण वह संकुचित हो जाती है। इस कारण छोटी-छोटी सांस लेनी पड़ती है, छाती मे कसाव जैसा महसूस होता है, सांस फूलने लगती है और बार-बार खांसी आती है। इस बीमारी के होने का विशेष उम्र बंधन नहीं होता है।

किसी भी उम्र में कभी भी ये बीमारी हो सकती है। दमा की बीमारी को दो भागो किया जा सकता है- विशिष्ट और गैर विशिष्ट । विशिष्ट प्रकार के दमा के रोग में सांस में समस्या एलर्जी के कारण होता है जबकि गैर विशिष्ट में एक्सरसाइज़, मौसम के प्रभाव या आनुवांशिक प्रवृत्ति के कारण होता है।

आम तौर पर अगर परिवार में आनुवांशिकता के तौर पर अस्थमा की बीमारी है तो इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। अस्थमा कभी भी ठीक नहीं हो सकता है लेकिन कई प्रकार के ट्रीटमेंट के द्वारा इसके लक्षणों को नियंत्रण में लाया जा सकता है या बेहतर रहने की कोशिश की जा सकती है।

श्वसन-संस्थान से सम्बंधित एक भयावह रोग दमा या अस्थमा है| यह श्वास नली का रोग है| श्वास नली में सूजन हो जाने से यह रोग भुक्त भोगी को चैन से नहीं बैठने देता| दमा रोग के पांच प्रकार बताए गए हैं – महश्वास, नूपर की श्वास, छिन्न श्वास, निम्न श्वास तथा छोटी श्वास| यह श्वासवाही तंत्रों में व्याधि उत्पन्न करने वाला रोग है, इसलिए रोगी को बहुत सावधान रहना चाहिए|

दमा का कारण :- यह बड़ी कष्टप्रद बीमारी मानी जाती है| इस हम एलर्जिक बीमारी कह सकते हैं| धूल के कण, धुआं आदि श्वास नलिका में प्रवेश करने के कारण यह रोग हो जाता है| शराब, बासी, ठंडा एवं रूखा भोजन करने, मूत्र तथा मल रोकने, मूली खाकर पानी पी लेने आदि के कारण श्वास नलियों और फेफड़ों में पहले कफ जमता है, फिर सूखा जाता है| ऐसी हालत में प्राणवायु से लेकर कंठ तक उदान वायु मिल जाती है जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई होती है और यह रोग हो जाता है| इसमें पहले खांसी होती है, फिर गहरी सांसें आने लगती हैं|

दमा की पहचान :- इस रोग में श्वास ऊपर-नीचे की तरफ तेजी से चलती है| जब कफ मुख में आ जाता है तो सांस फूल जाती है| श्वास से दु:खी होकर आंखों में भ्रम, मोह तथा ग्लानि के लक्षण पैदा हो जाते हैं| कई बार अफरा की शिकायत हो जाती है| माथे तथा कंठ के ऊपरी भाग में पसीना आता है और श्वास भरते समय आंखें लाल हो जाती हैं| चेतना जाती रहती है|

शरीर का रंग काला-सा पड़ जाता है| कफ निकलने में कठिनाई होती है क्योंकि कफ काफी गाढ़ा तथा दुर्गंध भरा होता है| पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है| दमे का दौरा सुबह-शाम पड़ता है| रोगी काफी घबरा जाता है| उसको लगता है, जैसे उसकी मृत्यु निकट है| वायु कंठ के नीचे भर जाती है और गुड़गुड़ की आवाज होती है| श्वास का वेग सोते समय भी रहता है तथा नींद नहीं आती| आंखों में सूजन, धौंकनी के समान श्वास लेने आदि के लक्षण बार-बार दिखाई देते हैं|

दमा के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं :- तेल और नमक :- कड़वे तेल को गरम करके उसमें जरा-सा नमक डालें| फिर उसको सुहाता-सुहाता रोगी की छाती पर मलें|

अदरक, गरम पानी, पेठा और शहद :- अदरक का रस एक चम्मच तथा शहद आधा चम्मच मिलाकर चाटें| पेठे की जड़ निकालकर सुखा लें| फिर उसे पीसकर चूर्ण बनाएं| इसमें से 5 ग्राम चूर्ण गरम पानी के साथ सेवन करें|

हल्दी, कालीमिर्च, कचूर, किशमिश, गुड़ और पीपल :- हल्दी, कालीमिर्च, कचूर, किशमिश और पीपल – सभी 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस डालें| इसमें थोड़ा-सा पुराना गुड़ मिलाकर झरबेरी के बेर के बराबर गोलियां बना लें| सुबह-शाम एक-एक गोली पानी के साथ खाएं|

धतूरा :- धतूरे के दो बीज प्रतिदिन एक माह तक खाएं| दमा नष्ट हो जाएगा|

आक, अजवायन, गुड़ और गरम पानी :- 30 ग्राम आक के पेड़ की कोंपलें, 50 ग्राम अजवायन तथा 50 ग्राम पुराना गुड़ – तीनों को पीसकर चटनी बना लें| इसमें से 4 ग्राम चटनी सुबह-शाम गरम पानी से खाएं|

लौकी और शहद :- लौकी को उबालकर उसके 50 ग्राम रस में शहद मिलकर पिएं|

फिटकिरी :- एक रत्ती फूली हुई फिटकिरी मुंह में डालकर चूसें|

प्याज, लहसुन, तुलसी और शहद :- प्याज का रस 10 ग्राम, लहसुन का रस 3 ग्राम और तुलसी के पत्तों का रस 5 ग्राम – इन रसों में शहद मिलाकर नित्य 40 दिनों तक सेवन करें|

कपूर और पानी :- कपूर को उबलते पानी में डालकर दिन में तीन-चार बार सूंघें| श्वसन सम्बंधी रोगियों के लिए यह काफी लाभदायक होता है|

नीम और पान :- 10 बूंदें नीम का तेल पान पर डालकर खाएं|

पीपल, कालीमिर्च, सोंठ, चीनी और पानी :- पीपल, कालीमिर्च, सोंठ तथा चीनी-सभी 50-50 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें| प्रतिदिन सुबह-शाम 5-5 ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी से लें|

मुलहठी और पानी :- 5 ग्राम मुलहठी का चूर्ण एक कप पानी में उबालकर चाय की तरह पिएं| लगभग दो माह में यह रोग चला जाएगा|

नीला थोथा, आक, दूध और गुड़ :- 1 ग्राम भुना नीला थोथा, 2 ग्राम आक का दूध तथा 10 ग्राम गुड़ – तीनों को मिलाकर दो मात्रा करें| इसे सुबह-शाम गरम पानी के साथ लें|

शलजम, गाजर, पत्तागोभी और सेम :- शलजम, गाजर, पत्तागोभी तथा सेम की फली का आधा-आधा कप रस मिलाकर गरम करके जरा-सा सेंधा नमक डालकर सुबह-शाम पिएं|

अड़ूसा, अदरक और शहद :- 5 ग्राम अड़ूसा (बांसा), 5 ग्राम अदरक तथा 10 ग्राम शहद – तीनों को मिलाकर दिन में चार-चार घंटे बाद सेवन करें| 40 दिन लगातार यह नुस्खा लेने से दमा जड़ से नष्ट हो जाएगा|

पीपल और शहद :- पीपल की गुलड़ियों (फल) को सुखा-पीसकर चूर्ण बना लें| 4 ग्राम चूर्ण सुबह और 4 ग्राम शाम को शहद के साथ सेवन करें| यह नुस्खा 60 दिनों तक लेने से दमा में काफी लाभ होता है|

कुलथी और पानी :- कुलथी को पानी में उबालकर पीने से श्वास रोग चला जाता है|

लहसुन और बादाम :- लहसुन तथा बादाम के तेल की मालिश छाती एवं पीठ पर करें|

अंजीर :- प्रतिदिन खाली पेट दो अंजीर खाएं| कफ बाहर निकल जाएगा तथा दमे का रोग नष्ट होगा|

चाय, हरसिंगार और पानी :- बिना दूध की गरम चाय दमे का दौरा पड़ने पर पिएं| हरसिंगार के पेड़ (पौधा) की छाल को पानी में उबालकर पिएं|

नमक और करेला :- प्रतिदिन दो चम्मच करेले के रस में जरा-सा नमक मिलाकर पिएं|

गेहूं :- हरे गेहूं के पौधे का रस आधा-आधा चम्मच दिन में दो बार लें|

हल्दी, रेत और पानी :- हल्दी को रेत में भूनकर पीस लें| इसे एक चम्मच की मात्रा में दो बार गरम पानी से लें|

दमा में क्या खाएं क्या नहीं :- प्रतिदिन जाड़े के मौसम में रोगी को धूप का सेवन करना चाहिए| तरोई, लौकी, पालक, गाजर, पेठा, कच्चा पपीता आदि की सब्जियां चपाती के साथ लें| चना, मूंग की दाल, अरहर, उरद तथा काली मलका की दाल न खाएं|

ठंडी चीजों जैसे दही, खोया, मिठाई, फ्रिज में रखा सामान, केला, अनार, अमरूद, सेब, ककड़ी, तरबूज, खरबूजा, चचींड़ा, सिंघाड़ा आदि का सेवन न करें| दूध में एक लौंग तथा एक गांठ अदरक डालकर पिएं| बकरी के दूध का सेवन अधिक करें| बादाम का छौंका पिएं| खट्टे-पदार्थ, नाशपाती तथा नीबू का सेवन न करें|

Check Also

HOMEMADE REMEDIES FOR WEATHER INFLUENZA (FLU) । वात श्लैष्मिक ज्वर (फ्लू) के घरेलू उपचार के बारे में जानिए

HOMEMADE REMEDIES FOR WEATHER INFLUENZA (FLU) :- स्वाइन इंफ्लुएंजा को स्वाइन फ्लू के नाम से …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *