* कलौंजी का पौधा सौंफ के पौधे से थोड़ा छोटा होता है। इसके फूल हल्के नीले व पीले रंग के होते हैं और इसके आकार तारे के समान होते हैं।
* लगभग घरों में होते हुए भी आप इसके गुणों से अब तक अनजान है ..!
* इसके फूल सर्दीकी शुरुआती अवस्था में और फल सर्दियों में लगते हैं। फूल के गिरने के बाद इसमें आधे इंच लंबे काले फल लगते हैं। फल के अन्दर काले या गहरे भूरे रंग के बीज होते हैं जो तीखा और सुगंधित होता है। इस बीज को ही कलौंजीकहते हैं।
* बीज 2से3मिलीमीटर लंबे और 2मिलीमीटर चौड़े होते हैं। बीज ऊपर से खुरदरा और अन्दर से चिकना होता है। कलौंजी के पत्ते एक साथ जुड़े रहते हैं। कलौंजी का प्रयोग मसाले और अनेक रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। कलौंजी का प्रयोग यूनानी दवाओं को बनाने में ज्यादा किया जाता है।
* ये किसी हकीम ने सच ही कहा था ..”मौत को छोड कर हर मर्ज की दवाई है…..! “
* कलौंजी के बीजों का तेल भी बनाया जाता है जो रोगों के लिए बहुत प्रभावशाली होता है। इसका तेल न मिलने पर कलौंजी से काम चलाया जा सकता है।
* कलौंजी वनस्पति पौधे के बीज है और औषधियों के रूप में बीजों का ही प्रयोग किया जाता है। अत: कलौंजी के बीजों को बहुत बारीक पीसकर सिरका, शहदया पानी में मिलाकर उपयोग किया जाता है।
* कलौंजी के तेल में एक अलग प्रकार की चर्बीके टुकड़ा होता है। लिर्नोलेटिक टुकड़ा 60प्रतिशत और पाश्मेहिक टुकड़ा लगभग 11प्रतिशत इसमें प्राप्त हैं। इसलिए इसमें स्वतंत्र अम्ल 40अथवा उससे भी ज्यादा हो सकते है। यह कार्बनिक तेल को आसानी से पानी के रूप में बदल