Asta Bhootani Sadhana । अष्ट भूतनी साधना

bhoot-sadhana

Asta Bhootani Sadhana : मैंने पहली साधना भूतनी साधना की थी आज से 25 साल पहले जो बहुत ही रोमांचिक करने वाली है !तो कल चंदर ग्रहण है ! इस लिए भूतनी साधना दे रहा हु !भूतनी से डरने की जरूरत नहीं है !यह अप्सरा जैसी ही दिखती है और साधक की सहायता करके खुश होती है !मैंने पाच दिन में इसे सिद्ध कर लिया था !मुझे शुरू से कुश अलग करने की ईशा थी !लेकिन न कोई साधना का इतना विस्तार पता था न कोई इस दिशा का मालूम था एक दिन मुझे शिव तंत्र नाम की पुस्तक मिली उस से बहुत प्रयोग किए जो काफी रोमचिक कर देने वाले थे !

फिर एक दिन मैंने उस से भूतनी साधना करने की सोची और जु तो भूतनी देवी अष्ट है !लेकिन मैंने संधूरनी नाम की भूतनी साधना की और रात्री को दस व्जे अपने गाँव के बाहर उसी अपने साधना स्थल की और चल पड़ा जिस का जिक्र मैं पहले भी कर चुका हु !रात भी गहरी थी और मन में एक उतशाह था के देखते है यह भूतनी कैसी होती है और स्थल पे पहुँच कर मैंने परंबिक पूजन किया और रक्षा विधान पूरा कर मंत्र जप कर शुरू दिया इसी तरह रोज निहचित टाइम पे व्हा जाता और साधना पूरी करता तीन चार घंटे लग जाते जप को और रात के 2 व्जे घर आ जाता !

पंचवे दिन कुश खास तरह की सुगंध आने लगी और जप शुरू किए हुए एक घंटा ही हुआ था के एक बहुत ही सुंदर इस्त्री आ के पास बैठ गई !मैंने जप जारी रखा और उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया क्यू के मुझे मालूम था अगर जप बीच में ही शोड दिया तो कुश हासिल नहीं होगा जप पूरा हो गया और मैंने उस की तरफ देखा उस ने कपड़े तो बहुत कम पहने थे लेकिन आंखे मानो चमक रही थी और चेहरे पे विशेष आकर्षण था !

उस ने मुझे कहा मैं आप के लिए क्या करू तो मैंने अपनी ईशा बता दी उसने मेरे हाथ पे हाथ रख बचन दिया और अदृश्य हो गई उसके बाद वोह रोज दिखाई देती और धीरे धीरे मेरे चेहरे पे लाली रहने लगी सच मानो चेहरा जैसे बदल सा गया मैं कितना भी ज़ोर का काम करता कभी थकावट न होती हमेशा गुलाब सा खिला चेहरा आंखो के सहमने रेहता काम कभ हो जाता पता ही न चलता !फिर मैंने शिव साधना शुरू कर ली और उसे वापिस भेज दिया और दुयारा कभी याद करने का अवसर ही नहीं मिला आज लिखते हुए लग रहा है जैसे वोह मेरे पास ही हो !

तो कल चंदर ग्रहण है आप कल भी यह साधना कर सकते है अष्ट भूतनी में से तीन मैंने सिद्ध की हुई है!आप इन अष्ट देवियो में से कोई भी सिद्ध कर सकते है ! अगर ग्रहण काल में न कर पाये तो 11 दिन करे इसे किसी भी रविवार शुरू करे और सर्व पर्थम शिव मंदिर जा के शिव पुजा करे और भूतनी साधना के लिए आज्ञा और आशिर्बाद ले और इस साधना के लिए पहले अपने मन को अशी तरह तयार करे !
क्यू के मन की इकाग्रता बहुत जरूरी है जो साधना में सिधी का आधार बनती है !

साधना विधि :- मैं जहां संदूरनी नाम की भूतनी की साधना दे रहा हु जु यह अष्ट भूतनी है जिन के नाम कुंडल धारणी ,संदूरनी ,नटी, महा नटी हारनी ,चेटका,कुमारिका ,और कमेश्वरी ! समय समय इन साधनाओ से रहस्य उठाता जाऊँगा !

आप किसी ऐसे कमरे में इसे करे जहां साधना काल में कोई न आए और न आपका ध्यान भंग करे इस लिए किसी सूने देव मंदिर को चुन ले जा घर के अलग कमरे में करे और सुबह उसे जिन्द्रा लगा दे त के कोई उस में प्रवेश न करे ! जब साधना पूरी हो जाए फिर कोई बात नहीं साधना काल में प्र्य्वेसी रहनी चाहिए !

सामग्री :- इस के लिए आप लाल चन्दन की माला इस्तेमाल करे जो कही से भी खरीद ले और शिव पुजा करते हुए उसे व्हा शिव लिंग से टच कर ले और इस के लिए आप किसी भी तेल का दिया जगा दे मेरे ख्याल से सभी से उतम चमेली का तेल रेहता है !भोग के लिए कोई भी दूध से बनी मिठाई ले और उसे दीप के पास ही किसी दुने में रख दे और रक्षा के लिए कोई भी रुद्राक्ष धारण कर ले और पूजन से जा साधना शुरू करने से पहले रक्षा विधान कर ले जैसे शिव कवच का पाठ कर चारो और रेखा खीच दे और फिर दीप के पास ही एक सुपारी संधूर से लाल रंग के मोली बांध कर चावल की ढेरी पे स्थापन कर पंचौपचार से पूजन करे और संधूरनी देवी से आने की प्रार्थना करे !

हे देवी तुम नाना अलंकारो से शशोबित हो आपकी देह से चंदर और कस्तुरी के समान गंध प्र्वहित होती है आपके नेत्र विशाल व जवल्यमान है आप सदह प्र्सन रहते हुए अपने साधक को प्र्सन रखती हो और अपने साधक को मान व धन वस्त्र आभूषण प्रदान करके उसकी दरिद्रता को हमेशा के लिए मिटा देती हो मैं आपका साधक आपके दर्शन व अपनी मनोकामना सिधी के लिए आपका आवाहन करता हु आप मेरा आवाहन स्वीकार करे और जहां उपसिथित हो !

इस के बाद पंचौपचार से पूजन करे और इस से पहले गुरु पूजन कर आज्ञा ले और साधना शुरू कर दे आप को हर रोज 80 माला मंत्र जप करना है !इस से कम नहीं चलेगा जायदा जितना चाहे कर ले और हर रोज 80 माला मंत्र जप करना है !तीन दिन के बाद ही कमरे में सुंगंध व्यापत होने लगती है और किसी के पाद की चलने की आवाज आने लगती है !और 11 दिन पूरे होते ही भूतनी देवी प्र्सन मुद्रा में दर्शन देती है !

इस में धार्य की खास जरूरत है मन पे स्यम रखे और उसे देख कर उतेजक न हो जब वोह वर मांगने के लिए कहे जा यह कहे मैं आप के लिए क्या करू तो आप उसे बहन पत्नी माता जा प्रियेसी बनने को कहे इस तरह वोह पर्सन हो तूमे बचन दे देगी !अगर आप ने साधना सही ढंग से कर ली तो इस साधना के वारे कहा गया है के जब यह साधक पे पर्सन होती है तो हर रोज उसे 25 स्वर्ण मुदराए देती है !

मंत्र :– ॐ ह्रौं करूँ करूँ करूँ कटु कटु ॐ संधूरनी करूँ करूँ करूँ ॐ आ !!

Check Also

शक्ति का मूल है कामाख्या

शक्ति एक ऐसा तत्व है जिसके बिना जीव-जंतु,वनस्पति,मनुष्य, देवी-देवता और संपूर्ण ब्रह्मांड ही निष्क्रिय है …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *