जानिये महाभारत युद्ध के 10 रहस्यमय व्यक्ति

युद्ध में भीम से ज्यादा शक्तिशाली उनका पुत्र घटोत्कच ही था। घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक था। 

उन्होंने एक बार अपनी भुजाओं से नर्मदा नदी का प्रवाह रोक दिया था। युद्ध में भीम से ज्यादा शक्तिशाली सिर्फ उनका पुत्र ही था। लेकिन भीम में यह हजार हाथियों वाला बल कहां से और कैसे आया?

यह सभी जानते हैं कि गांधारी का बड़ा पु‍त्र दुर्योधन और गांधारी का भाई शकुनि, कुंती के पुत्रों को मारने के लिए नई-नई योजनाएं बनाते थे। इसी योजना के तहत एक बार दुष्ट दुर्योधन ने धोखे से भीम को विष पिलाकर उसे गंगा नदी में फेंक दिया। मूर्छित अवस्था में भीम बहते हुए नागों के लोक पहुंच गए। वहां विषैले नागों ने उन्हें खूब डंसा जिससे भीम के शरीर का जहर कम होने लगा यानी जहर से जहर की काट होने लगी।

जब भीम की मूर्छा टूटी, तब उन्होंने नागों को मारना शुरू कर दिया। यह खबर नागराज वासुकि के पास पहुंची, तब वे स्वयं भीम के पास आए। वासुकि के साथी आर्यक नाग ने भीम को पहचान लिया। आर्यक नाग भीम के नाना के नाना थे। भीम ने उन्हें अपने गंगा में धोखे से बहा देने का किस्सा सुनाया। यह सुनकर आर्यक नाग ने भीम को हजारों हाथियों का बल प्रदान करने वाले कुंडों का रस पिलाया जिससे भीम और भी शक्तिशाली हो गए।

सातवां व्यक्ति

घटोत्कच : माना जाता है कि कद-काठी के हिसाब से भीम पुत्र घटोत्कच इतना विशालकाय था कि वह लात मारकर रथ को कई फुट पीछे फेंक देता था और सैनिकों तो वह अपने पैरों तले कुचल देता था। भीम की असुर पत्नी हिडिम्बा से घटोत्कच का जन्म हुआ था।

भीम पुत्र घटोत्कच का कंकाल मिला!

जन्म लेते समय उसके सिर पर केश (उत्कच) नहीं थे इसलिए उसका नाम घट-हाथी का मस्तक + उत्कच= केशहीन अर्थात घटोत्कच रखा गया। इसका मस्तक हाथी के मस्तक जैसा और केशशून्य होने के कारण यह घटोत्कच नाम से प्रसिद्ध हुआ। वह अत्यंत मायावी निकला और जन्म लेते ही बड़ा हो गया। उसमें जहां शारीरिक बल था वहीं वह मायावी भी था।

चूंकि घटोत्कच की माता एक राक्षसी थी, पिता एक वीर क्षत्रिय था इसलिए इसमें मनुष्य और राक्षस दोनों के मिश्रित गुण विद्यमान थे। वह बड़ा क्रूर और निर्दयी था।

महाभारत युद्ध के बीच इसने हाहाकार मचा दिया था। कर्ण सेनापति बनकर कौरवों के पक्ष से युद्ध कर रहे थे। कर्ण के पास इंद्र की दी हुई ऐसी शक्ति थी जिससे वह किसी भी पराक्रमी से पराक्रमी योद्धा को मार सकते थे। वह शक्ति कभी खाली जा ही नहीं सकती थी। कर्ण इस शक्ति से अर्जुन को मारना चाहते थे। श्रीकृष्ण यह जानते थे, इसी कारण उन्होंने घटोत्कच को रणभूमि में उतारा। इस राक्षस ने आकाश से अग्नि और अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्र बरसाना आरंभ कर दिया जिससे कौरव सेना में हाहाकार मच उठा। दुर्योधन ने घबराकर

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