The History Of Hinduism and Islam । हिन्दू धर्म के ॐ एवं इस्लाम के 786 अंक में है गहरा संबंध जाने

hindu-religen.jpg12

The History Of Hinduism and Islam : धर्म से जुड़ी हर एक बात अच्छी लगती है। जो लोग तन एवं मन दोनों से ही खुद को धर्म के नाम पर समर्पित कर चुके हों, उनके लिए धर्म ही एकमात्र जीने का सहारा है। इसलिए जो वस्तु या शब्द या फिर स्वर उन्हें धर्म से जोड़ता हो वह उन्हें सबसे प्रिय है। भारत जैसे देश में आपको धर्म एवं उससे जुड़ा लगाव काफी गहराई से दिखाई देगा। दुनिया के सबसे पुराने माने जाने वाले हिन्दू धर्म की ऐसी कई बातें हैं जो उसके मानने वाले श्रद्धालुओं को उसके साथ एक अटूट गांठ की तरह जोड़ती हैं।

इसलिए हिन्दू धर्म में ‘ॐ’ का महत्व जानना व्यर्थ ही है। यह एक ऐसा शब्द है जो हर एक हिन्दू ग्रंथ, मंत्र एवं रचनाओं में समाया है। इसका महत्ता इसके अत्यंत इस्तेमाल से ही बनती है। यदि आप एक हिन्दू से यह पूछते हैं कि ॐ शब्द का महत्व क्या है तो वह इसे ‘कंठ को पवित्र’ कर सकने के समान शब्द मानता है। लेकिन फिर भी यदि हम ॐ का अर्थ जानने की कोशिश करें तो यह हमें इसके उच्चारण के महत्व पर ले जाता है।

कहते हैं कि पुरातन समय से ही महान ऋषि-मुनियों द्वारा इस शब्द का उच्चारण किया जाता था। यह शब्द हिन्दू धर्म के सभी वेदमंत्रों में सबसे पहले इस्तेमाल किया जाता है। यह मात्र एक प्रतीक चिन्ह ही नहीं बल्कि हिन्दू परम्परा का सबसे पवित्र शब्द है जिसका उच्चारण करने से अनेक दुखों का विनाश होता है। मान्यताओं के अनुसार इसके उच्चारण से ऐसे कई चमत्कारी प्रभाव उत्पन्न होते हैं जो समस्त संसार की किसी दवा में मौजूद नहीं हैं। मान्यताओं में भी ॐ शब्द को विभिन्न आकार से देखा जाता है।

कहते हैं कि इस शब्द का 3 के आकार वाला चिन्ह भगवान ब्रह्मा को दर्शाता है। इसके साथ दाहिनी ओर मुड़ा हुआ आकार जगत के पालनहार भगवान विष्णु का प्रतीक है तथा दोनों चिन्हों के ऊपर बना आकार भगवान शंकर को समर्पित है। लेकिन यह ॐ शब्द देवों के अलावा इस्लाम धर्म में प्रसिद्ध 786 अंक से कैसे जुड़ा है? जी हां, 786 अंक जिसे हर मुसलमान बेहद पवित्र एवं अल्लाह का वरदान मानता है। यही कारण है कि इस धर्म को मानने वाले लोग अपने हर कार्य में 786 अंक के शामिल होने को शुभ मानते हैं।

मकान का नंबर हो या फिर मोबाइल का नंबर, गाड़ी का नंबर हो या फिर स्वयं ही गाड़ी पर इस अंक को गुदवाना। इस्लाम धर्म में इसकी महानता इसके महत्वाकांक्षी प्रयोग से ही दिखाई देती है, लेकिन क्या आप इस अंक के उत्पन्न होने का इतिहास जानते हैं? यूं तो कहते हैं कि यह अंक कब आया, कहां से आया और कैसे इस्लाम में प्रचलित हुआ इसका जवाब बहुत ही कम लोग सही रूप में बता पाते हैं लेकिन यहां हम एक कोशिश जरूर कर सकते हैं।

इस्लाम धर्म में ‘बिस्मिल्ला’, यानी कि अल्लाह के नाम को 786 अंक से जोड़ कर देखा जाता है इसलिए मुसलमान इसे पाक अर्थात पवित्र एवं भाग्यशाली मानते हैं। कहते हैं यदि ‘बिस्मिल्ला अल रहमान अल रहीम’ को अरबी या उर्दू भाषा में लिखा जाए और उन शब्दों को जोड़ा जाए तो उनका योग 786 आता है। शायद इसलिए लोगों को अल्लाह के नाम का संबोधन देने के लिए एक विकल्प के रूप में 786 का पवित्र अंक उपयोग करने की सलाह दी गई।

इस्लाम धर्म विज्ञान को नहीं मानता इसलिए कुछ मुस्लिम धर्म के अनुयायियों की मानें, तो लोगों को अल्लाह की इबादत से जोड़े रखने के लिए ही इस अंक का निर्माण किया गया होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 786 अंक का महत्व जितना मुस्लिम धर्म में है, उतना ही हिन्दू धर्म में भी है। यह महत्व हमें देवकी नंदन श्रीकृष्ण की वजह से हासिल होता है। यह तो सभी जानते हैं कि श्रीकृष्ण को उनकी बांसुरी के मधुर स्वर के लिए भी जाना जाता है।

कहते हैं कि श्रीकृष्ण बांसुरी बजाते समय उसके सात छिद्रों से सात स्वरों के साथ हाथों की तीन-तीन अंगुलियों से यानी छ: अंगुलियों से बांसुरी बजाकर गांवों को मुग्ध कर दिया करते थे। उनके इसी अंदाज़ से एक अर्थ उजागर होता है। बांसुरी के (7) सात छिद्रों से बने सात स्वरों को देवकी के आठवें (8) पुत्र प्रिय श्रीकृष्ण ने अपनी (6) अंगुलियों से बजाकर समस्त चराचर को मंत्रमुग्ध कर दिया था।

यही कारण है कि हिन्दू धर्म में भी खासतौर पर 786 अंक को प्रिय माना गया है। इसके अलावा सनातन धर्म के अनुसार भी 786 अंक का हिन्दू धर्म से एक खास संबंध है। इस धर्म के मुताबिक 786 का मतलब ही ॐ होता है। प्रसिद्ध शोधकर्ता राफेल पताई ने अपनी पुस्तक ‘द जीविस माइंड’ में ॐ एवं 786 अंक से जुड़े ऐसे तथ्य शामिल किए, जो हैरान करने वाले हैं।

उनके अनुसार पवित्र कुरान की सभी अरबी प्रतियों पर अंकित रहस्यमय अंक 786 ही है। अरबी विद्वानों ने परमात्मा के रूप में इस विशेष अंक का चुनाव निर्धारित कर इसे ईश्वर के समान दर्जा दिया। लेकिन अगर इस संख्या को संस्कृत भाषा में प्रयोग होने वाले अक्षरों की तरह बनावट दी जाए तो यह वाकई ॐ शब्द बनाता है।

लेकिन काल्पनिक दृष्टि से भी 786 अंक हिन्दू एवं इस्लाम दोनों धर्मों को अपने भीतर पाता है। इसके लिए सबसे पहले आपको 786 अंक को हिन्दी गिनती के हिसाब से लिखना होगा। यानी कि इस तरह से 7=७ 8=८ 6=६, इसके बाद यदि आप इन तीनों अंकों को दिखाई गई तस्वीर के अनुसार लगाएं तो आप देखेंगे कि यह मिलकर ॐ बनाते हैं।

Check Also

जानिये भगवान शिव पर क्यों चढ़ाए जाते हैं आक, भांग, बेलपत्र और धतूरा

सावन के महीने 13 दिन बीत चुके हैं और आज 14वां दिन है। शिव मंदिरों …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *