Shiv Ki Aghor Sadhana Kaise Karein । शिव की अघोर साधना कैसे करे ?

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Shiv Ki Aghor Sadhana Kaise Karein : शिव की अघोर साधना : क्यों की वह मन की सीमा के पार है, तभी तो वह संत है. संत का अर्थ है परम संतुलन. और संतुलित सदा अतिक्रमण कर जाता है. संत को पहचानने की दृष्टि तुममे अभी नही आ सकती, यदि यहि दृष्टि आ जाए तो तुम्ही संत हो जाओ. फिर तुम्हे किसी गुरु की क्या आवश्यकता? संत तुम्हारी धारणाओं में नही समाएगा. वह छूट छूट जाएगा. तभी तो वह मन की सीमा से तुम्हे मुक्त करने में समर्थ है. क्यूँ की खुद मुक्त है.

संत भीख मांगेगा- बुद्ध.

संत सम्राट होगा- जनक, राम, कृष्ण.

संत अपंग होगा- अष्टावक्र.

संत नग्न होगा- महावीर.

संत स्त्री नग्न होगी- लल्ला.

संत रुढ़िवादी होगा- रामानंद.

संत जातिवादी होगा- चैतन्य

संत नर्तक होगा- श्री श्री

संत परम भोग को प्रश्रय देगा- एपिक्युरस.

संत सिगार पिएगा- गुर्ज़िएफ़्फ़.

संत मांसाहार करेगा- राम कृष्ण.

संत पत्नी को छोड़ देगा- राम तीर्थ

संत वियोगी होगा- राम

संत मायावी होगा- कृष्ण

संत है अस्तित्व का पार का रूप. संत है अस्तित्व का अद्वितीय पुष्प. और अद्वितीयता सदा रहस्य है.कभी संत का मूल्यांकन मत करना.संत वही है जिससे तुम्हे अपना पता मिले.जिससे अंततः प्रेम हो जाए.यह ह्रदय की घटना है. यह रहस्य से जुड़ना है. यह रहस्य से प्रेम है.और प्रेम सदा बुद्धि व तर्क के पार है.

किसी संत को उसके वेशभूषा से नहीं टटोलना चाहिए , संतो के सिलसिले में शिव की अघोर रूप में साधना का बड़ा महत्व है ! शिव के अघोर रूप की नित्य साधना से भूत प्रेत आदि शिव गण आपके कार्यो में  सहाई  बनते है ! इस मंत्र के नित्य जाप और हवन से आप अपने साधना के क्षेत्र में अगले श्रेणी की और अग्रसर हो जायेंगे !

‘ॐ अघोरेभ्यों अघोरेभ्यों नम:’

अघोरपंथ के लोग चार स्थानों पर ही श्मशान साधना करते हैं। चार स्थानों के अलावा वे शक्तिपीठों, बगलामुखी, काली और भैरव के मुख्या स्थानों के पास के श्मशान में साधना करते हैं। यदि आपको पता चले कि इन स्थानों को छोड़कर अन्य स्थानों पर भी अघोरी साधना करते हैंमंत्र की शीग्र सिद्धि  के लिए निचे दिए गए स्थानो पर साधना करना लाभकारी है

तीन प्रमुख स्थान :

तारापीठ का श्मोशान : तारापीठ धाम की खासियत यहां का महाश्मशान है। वीरभूम की तारापीठ (शक्तिपीठ) अघोर तांत्रिकों का तीर्थ है। यहां आपको हजारों की संख्याक में अघोर तांत्रिक मिल जाएंगे। तंत्र साधना के लिए जानी-मानी जगह है तारापीठ, जहां की आराधना पीठ के निकट स्थित श्मशान में हवन किए बगैर पूरी नहीं मानी जाती। कालीघाट को तांत्रिकों का गढ़ है

कामाख्या पीठ के श्मशान : कामाख्या पीठ भारत का प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जो असम प्रदेश में है। कामाख्या देवी का मंदिर गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। प्राचीनकाल से सतयुगीन तीर्थ कामाख्या वर्तमान में तंत्र-सिद्धि का सर्वोच्च स्थल है। कालिका पुराण तथा देवीपुराण में ‘कामाख्या शक्तिपीठ’ को सर्वोत्तम कहा गया है और यह भी तांत्रिकों का गढ़ है।

रजरप्पा का श्मशान : रजरप्पा में छिन्नमस्ता देवी का स्थान है। रजरप्पा की छिन्नमस्ता को 52 शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है लेकिन जानकारों के अनुसार छिन्नमस्ता 10 महाविद्याओं में एक हैं। उनमें 5 तांत्रिक और 5 वैष्णवी हैं। तांत्रिक महाविद्याओं में कामरूप कामाख्या की षोडशी और तारापीठ की तारा के बाद इनका स्थान आता है।

चक्रतीर्थ का श्मकशान : मध्यप्रदेश के उज्जैन में चक्रतीर्थ नामक स्थान और गढ़कालिका का स्थान तांत्रिकों का गढ़ माना जाता है। उज्जैन में काल भैरव और विक्रांत भैरव भी तांत्रिकों का मुख्य स्थान माना जाता है।

सभी 52 शक्तिपीठ तो तांत्रिकों की सिद्धभूमि हैं ही इसके अलावा कालिका के सभी स्थान, बगलामुखी देवी के सभी स्थान और दस महाविद्या माता के सभी स्थान को तांत्रिकों का गढ़ माना गया है। कुछ कहते हैं कि त्र्यम्बकेश्वर भी तांत्रिकों का तीर्थ है।

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