महाभारत युद्ध के 10 रहस्य

mahabharata mysteries

महाभारत को ‘पंचम वेद’ कहा गया है। यह ग्रंथ हमारे देश के मन-प्राण में बसा हुआ है। यह भारत की राष्ट्रीय गाथा है। इस ग्रंथ में तत्कालीन भारत (आर्यावर्त) का समग्र इतिहास वर्णित है। अपने आदर्श स्त्री-पुरुषों के चरित्रों से हमारे देश के जन-जीवन को यह प्रभावित करता रहा है। इसमें सैकड़ों पात्रों, स्थानों, घटनाओं तथा विचित्रताओं व विडंबनाओं का वर्णन है। प्रत्येक हिंदू के घर में महाभारत होना चाहिए।

महाभारत में कई घटना, संबंध और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य छिपे हुए हैं। महाभारत का हर पात्र जीवंत है, चाहे वह कौरव, पांडव, कर्ण और कृष्ण हो या धृष्टद्युम्न, शल्य, शिखंडी और कृपाचार्य हो। महाभारत सिर्फ योद्धाओं की गाथाओं तक सीमित नहीं है। महाभारत से जुड़े शाप, वचन और आशीर्वाद में भी रहस्य छिपे हैं।

दरअसल, महाभारत की कहानी युद्ध के बाद समाप्त नहीं होती है। असल में महाभारत की कहानी तो युद्ध के बाद शुरू होती है। आज तक अश्वत्थामा क्यों जीवित है? क्यों यदुवंशियों के नाश का शाप दिया गया था और क्यों धर्म चल पड़ा था कलियुग की राह पर। महाभारत का रहस्य अभी सुलझना बाकी है। महाभारत युद्ध और उससे जुड़े दस रहस्यों का हमने पता लगाया और जिसे आप शायद ही जानते हों…

पहला रहस्य….
 
18 का रहस्य : कहते हैं कि महाभारत युद्ध में 18 संख्‍या का बहुत महत्व है। महाभारत की पुस्तक में 18 अध्याय हैं। कृष्ण ने कुल 18 दिन तक अर्जुन को ज्ञान दिया। 18 दिन तक ही युद्ध चला। गीता में भी 18 अध्याय हैं। कौरवों और पांडवों की सेना भी कुल 18 अक्षोहिनी सेना थी जिनमें कौरवों की 11 और पांडवों की 7 अक्षोहिनी सेना थी। इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे। इस युद्ध में कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे।सवाल यह उठता है कि सब कुछ 18 की संख्‍या में ही

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