चक्रव्यूह क्या था, और क्यूँ चक्रव्यूह युद्ध का निर्णय कर सकता था

ठीकाने विध्वंस करने शुरू कर दिए| अब उन्हें ना तो मौत का डर था, ना ही हार का| उन्होंने इतना भीषण युद्ध करा की कौरव युद्ध के सारे नियम भूल कर एक साथ अभिमन्यु से भीड़ गए|

लकिन अभिमन्यु के सामने एक संकल्प था; उनकी मार मैं चन्द्रमा पर कौरवो के ठिकाने आ गए, और उन्होंने आधुनिकतम अस्त्रों का प्रयोग करके सबको खंडहरों मैं बदल दिया| आज भी कुछ विश्व स्तर के विज्ञानिक इस बात को मानते हैं, कि चन्द्रमा मैं कुछ खंड मानव निर्मित हैं जो अत्यंत शक्तिशाली परमाणु अस्त्रों द्वारा करे गए हैं, और संभवत: महाभारत काल के हैं|

चाँद पर कुछ खड्ड मानव निर्मित हैं, जो महाभारत युद्ध के अवशेष हैं

इसका एक प्रमाण यह भी है, की इतने भीषण आक्रमण के पश्च्यात चन्द्रमा ने अपनी धुरी सूर्य के सन्दर्भ मैं बदल ली और सूर्य ग्रहण एक मॉस पहले हो गया, जिसके कारण जयदत्र को मारने मैं अर्जुन को सहायता मिली|

अनेक यानो से एक साथ आक्रमण बार बार हो रहा था, कौरव युद्ध के सारे नियम भूल चुके थे| अभिमन्यु बुरी तरह से घायल हो गए थे, और युद्ध के नियम के अनुसार उन्हें पृथ्वी पर उपचार के लिए लाया जा रहा था, की कौरवो के मुख्य नायको ने उन्हें घेर लिया| अत्यंत घायल अवस्था मैं जो भी उनकी हाथ मैं आया, उसी से वे लड़ते रहे, और अंत मैं वे गिर पड़े| तब जयद्रथ ने उनके सर पर वार करा; अभिमन्यु वीर गति को प्राप्त हो गए| कौरव वीरो ने, जिसमें द्रोणाचार्य, कर्ण भी शामिल थे, ने शव के चारो और नृत्य करा, जो किसी भी सभ्यता मैं शर्मनाक माना जाएगा|

१००० वर्ष की गुलामी के बाद भारत आज़ाद हुआ है, लकिन हमारे धर्मगुरु, हमारा प्राचीन गौरवपूर्ण इतिहास है, उसका लाभ हमें नहीं देना चाहते, क्यूँकी तब हिन्दू समाज को कर्मठ बनाना होगा, जो की इन धर्म गुरुजनों की दुकानदारी बंद करा देगा|निर्णय आपके ऊपर है, क्या हिन्दू समाज को दुबारा गुलाम बनाना है, या विश्व का शक्तिशाली समाज?

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